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Loca-Cam
प्रशापनासूत्र चतुर्भङ्गीति सर्वसंख्यया द्विकसंयोगे द्वादश भङ्गाः, त्रिकसंयोगे एकवचनबहुवचनाभ्यामष्टो भङ्गा भवन्ति, इति सर्वसंकलनेन पदविंशतिर्भङ्गा भवन्ति, तानेव भङ्गान् विशदयम्नाह-'चरमाइं ४' परमाणुपुद्गलः किं चरमाणि ? किं वा 'अचरमाई ५' अचरमाणि ? किं वा-'अवत्तव्ययाई६' अवतव्यानि ? इत्येवमेकसंयोगे पड्भङ्गान् प्रतिपाद्य, द्विकसंयोगे द्वादश भङ्गान् प्रतिपादयति'उदाहु चरिमे य अचरिमे य ७' उताहो चरमश्च अचरमश्च परमाणुद्गलो भवति ? 'उदाहु
और अबक्तव्य पदों को लेकर भी एक चौभंगी बना लेनी चाहिए। इस प्रकार द्विकसंयोग के कुल बारह विकल्प होते हैं।
तीन संयोगी मग आठ होते हैं । इस प्रकार सब को सम्मिलित करने पर ६४१२४८२६ (छन्दीस) भंग होते हैं। - * हिन्दी भाषा में एकवचनान्त रूप 'चरम' और बहुवचनान्त रूप भी .'चरम' ही होता है । इनसे एक वचन और बहुवचन का स्पष्ट भेद ज्ञात नहीं होता । इस कारण स्पष्टता के लिए यहाँ और आगे-पीछे भी संस्कृतभाषा के अनुसार एकवचन और बहुवचन का प्रयोग किया गया है। ___अब इन्हीं भंगों को स्पष्ट करते हुए कहते हैं-(४) चरमाणि अर्थात् पर. माणुपुद्गल क्या बहुत चरम रूप है ? (५) अचरमाणि अर्थात् क्या बहुत अचरम रूप है ? (६) अवक्तव्यानि क्या परमाणुपुद्गल बहुत अवक्तव्य रूप है ? ये पृथकू-पृथक छह मन हुए। __ अब द्विकतंयोगी बारह भंगों का प्रतिपादन करते हैं-अथवा (७) परमाणु. पुदगल चरमः और अचरमः है ? (८) या परमाणु चरमः अचरमाणि है अर्थात् એ પ્રકારની ચૌભાગી ચરમ અને અવક્તવ્ય પદની સમજવી જોઈએ અચરમ અને અવતવ્ય પદેને લઈને પણ એક ચી ભગી બનાવી લેવી જોઈએ. એ પ્રકારે કિક સંગના કુલ બાર વિકલ્પ થાય છે.
ત્રણ સગી ભગ આઠ થાય છે. એ પ્રકારે બધાને જોડી દેવાથી ૬૪૧૨૪૮૪ર૬ ( स) A1 जय छे.
ગુજરાતીમાં ચરમના એકવચનાન્ત અને બહુવચનાઃ રૂપનો સ્પષ્ટ ખ્યાલ નથી આવતે એથી એ કારણે સ્પષ્ટતાને માટે અહીં અને આગળ પાછળ પણ સ સ્કૃત ભાષાના અનુસાર એક વચન અને બહુવચનના પ્રયોગ કરાયા છે.
હવે એ ભગોને સ્પષ્ટ કરતા કહે છે-() ચરમાણિ અર્થાત્ પરમાણુ પુદ્ગલ શું घया ३५ है ? (५) अन्यमान अर्थात् शुधा मय२८ ३५ छ ? (6) अवक्त ध्यानि-शु. ५२मा युद्धास घg गवतव्य ३५ छ ? पृथ६ पृथ५ २॥ छ म यया.
હવે કિ યેગી બાર ભગેનુ પ્રતિપાદન કરે છે–અથવા (૭) પરમાણુ પુદ્ગલ घरम : मने अचरम . छ? (८) । ५२भा चरम : अचरमाणि छ अर्थात् ४ य२भ.