Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 835
________________ 'प्रमेयबोधिनी टीका पद १६ स. ६ गतिप्रपातनिरूपण 'पओगगती पण्णरसविहा पण्णत्ता' प्रयोगगतिः पञ्चदशविधा प्रज्ञप्ता, 'तं जहा-सच्चमणप्प, ओगगती एवं जहा पोगो भणियो तहा एसावि भाणियव्या जाव कम्मगसरीरकायप्पओगगती' तद्यथा-सत्यमनः प्रयोगगतिः, एवं यथा प्रयोगः पञ्चदशविधः पूर्वोक्तस्वरूपो भणितस्तथा एपाऽपि-प्रयोगगतिरपि भणितव्या-वक्तव्या, यावत्-मृषामनःप्रयोगगतिः, सत्यमृषामनःप्रयोंगगतिः, असत्यमृपामनःप्रयोगगतिः, सत्यवचःप्रयोगगतिः, मृपावचःप्रयोगगतिः, सत्यमृषा वचःप्रयोगगतिः असत्यामुपा वचःप्रयोगगतिः औदारिकशरीरकायप्रयोगगतिः, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगगतिः, वैक्रियशरीरकायप्रयोगगतिः, वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगगतिः, आहारकशरीरकायप्रयोगगतिः, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगगतिः, कार्मणशरीरकायप्रयोगगतिः, __ गौतमः पृच्छति-'जीराणं संते ! कइविहा पओगगती पण्णता? हे भदन्त ! जीवानों कतिविधा प्रयोगगतिः प्रज्ञप्ता ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'पण्णरसविहा पण्णत्ता' पञ्चदशविधा प्रयोगगतिः जीवानां प्रज्ञप्ता, 'तं जहा-सच्चम गप्प भोगगती जाव कम्मगसरीरकायप्पभोगगती' तद्यथा-सत्यमनःप्रयोगगतिः, यावत्-असत्यमनःप्रभृतिप्रयोगगतिः, काम भगवान्-हे गौतम प्रयोगगति पन्द्रह प्रकार को कही है। वह इस प्रकारसत्यमनप्रयोगगति, इत्यादि जैसे प्रयोग के पन्द्रह भेद कहे हैं, उसी प्रकार प्रयोगगति के भी पन्द्रह सेद समझलेने चाहिए, अर्थात् सत्यमनप्रयोगगति, मृषामनप्रयोगगलि, लत्यशासनप्रयोगगति, असत्यामृषासनप्रयोगगति, सत्यवचनप्रयोगगति, असत्यवचनप्रयोगगति, सत्यमृषावचनप्रयोगगति, असत्यमृषावचनप्रयोगगति, औदारिकशरीरकायप्रयोगगति, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगगति, वैफियशरीरकायप्रयोगगति, चैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगगति, आहारकशरीरकाथप्रयोगगति, आहारक्षमिश्रशरोरसायप्रयोगमति, कार्मणशरीरकायप्रयोगगति । गौतलस्वामी-हे भगवान् ! जीवों की प्रयोगगति कितने प्रकार की कही है ? भगवान्-हे गौतम ! पन्द्रह प्रकार की कही है, सत्यमनप्रयोगगति यावत् શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ! પ્રગગતિ પંદર પ્રકારની કહી છે. તે આ પ્રકારે સત્ય મન પ્રગગતિ ઈત્યાદિ જેવા પ્રાગના પંદર ભેદ કહ્યા છે, એજ પ્રકારે પ્રગતિના પણ પંદર ભેદ સમજી લેવા જોઈએ અર્થાત્ સત્યમનપ્રયોગગતિ, મૃષા મન પ્રયોગગતિ, સત્ય મૃષા મન પ્રગગતિ, અસત્યામૃષા મન પ્રગતિ, સત્યવચન પ્રગ ગતિ, અસત્યવચન પ્રગતિ, સમૃષા વચન પ્રયોગગતિ, અસત્યામૃષા વચન પ્રયોગ ગતિ, ઔદારિક શરીરકાયપ્રોગગતિ, ઔદારિક મિશ્રશારીરકાય પ્રગગતિ, વેકિય શરીર કાય પ્રગતિ, વિક્રિય મિશશરીરકાય પ્રયોગગતિ, આહારક શરીરકાય પ્રગગતિ, આહારક મિશ્રશરીરકાયછગગતિ, કામણશરીરકાયપ્રગતિ શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન્! જીની પ્રગતિ કેટલા પ્રકારની કહી છે? શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! પંદર પ્રકારની કહી છે, સત્યમનપ્રગતિ યાવત કાર્મણ

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