Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 838
________________ प्रापना बंधणछेदणगती ?' अथ का खलु सा बन्धनच्छेदनगतिः प्रज्ञप्ता? भगवानाह-'बंधणछेदणगतीजीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवाओ, से तं बंधणछेदणगती३' बन्धनन्छेदनगतिस्तायत्जीवो वा शरीराद् निर्गच्छति, शरीरं वा जीवाद् प्रमुक्तं भवति सा एपा बन्धनच्छेदनगतिरुच्यते ३, गौतमः पृच्छति-से कि तं उपवायगती ?' अथ का खलु सा उपयातगतिः? भगवानाह-'उववायगती तिविहा पणत्ता' उपपातगति स्त्रिविधा प्रज्ञप्ता, 'तं जहा-खेतोषपायगती, भवोवधायगती, नो भवोचवायगती' तघधा-क्षेत्रोपपातगतिः, भवोपपातगतिः, नो भवोपपातगतिश्च, · गौतमः पृच्छति-'से किं तं खेत्तोववायगती ?' अय का नाम सा क्षेत्रोपपातगतिः ? भगवानाह-'खेत्तोववायगती पंचविद्या पण्णत्ता' क्षेत्रोपपातगतिः पञ्चविधा प्रज्ञप्ता 'तं जमा-नेरइय खेत्तोववायगती तद्यथा-नैरयिकक्षेत्रोपपातगतिः-नैरयिकाणां क्षेत्रोपपातगतिः १, 'तिरी. खजोणियखेत्तोवचायगती२' तिर्यग्योनिकक्षेत्रोपपातगतिः२, 'मणूसखेत्तोक्वायगती३' मनुज्यक्षेत्रोपपातगतिः ३, 'देव खेत्तोववायगती ४' देव क्षेत्रोपपागतिः ४, "सिद्ध खेत्तोववारास्ते में है, उसकी उस समय जो गति होती है, वह ततगति है। गौतमस्वामी-हे भगवन् ! बन्धनच्छेद नगति क्या है । भगवान्-हे गौतम ! जीव शरार से बाहर निकलता है, अथवा शरीर जीव से पृथक् होता है, इसे बन्धनछेदनगति कहते हैं। गौतमस्वामी-हे भगवान् ! उपपातगति किसे कहते हैं ? भगवान्-हे गौतम ! उपपातगति तीन प्रकार की कही है, वह इस प्रकार हैक्षेत्रोपपातगति, भवोपपातगति और नोभवोपपातगति। गौतमस्वामी-हे भगवन् ! क्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? भगवान-हे गौतम ! क्षेत्रोपपातगति पांच प्रकार की है, वह इस प्रकार हैनारकक्षेत्रोपपातगति, तिर्यचक्षेत्रोपपातगति, मनुष्यक्षेत्रोपपातगति, देवक्षेत्रोपपा જે ગતિ થાય છે તે તત ગતિ છે. -- श्री गौतमस्वामी-डे भगवन् ! अन्नछेहन जति छ ? શ્રી ભગવાન–હે ગૌતમ ! જીવ શરીરથી બહાર નિકળે છે અથવા શરીર જીવથી પૃથક થાય છે, તેને બને છેદનગતિ કહે છે. ગૌતમવામી–હે ભગવન્! ઉપપાતગતિ કેને કહે છે? ( શ્રી ભગવાન-ઉપપાતગતિ ત્રણ પ્રકારની કહી છે-ક્ષેત્રો પપાતગતિ, ભવાપાતગતિ અને ને ભપપાતગતિ. શ્રી ગૌતમસ્વામી-હે ભગવન ! ક્ષેત્રો પપાતગતિ કેટલા પ્રકારની કહી છે ? શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! ક્ષેત્રો પપાતગતિ પાંચ પ્રકારની છેતે આ પ્રકારે છે–નારક ક્ષેત્રપાપાતગતિ, તિર્યંચ ક્ષેત્રો પાતગતિ, મનુષ્ય ક્ષેત્રે પાતગતિ, દેવ ક્ષેત્રો પપાતગતિ અને ! गात छ.

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