Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 849
________________ प्रमयबोधिनी टीका ११६ ० ७ सिद्धक्षेत्रोपपातादिनिरूपणम् ९०९ एवम् उत्तराद् दक्षिणम् उपरिष्टाद् अधः अधस्ताद्परि, सा एषा पुद्गलनोभवोपपातगतिः, तत् का सा सिद्धनोभवोपपातगतिः ? सिद्धनोभवोपपातगति विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-अनन्तरसिद्धनोभत्रोपपातगतिः, परम्परसिद्धनोभवोपपातगतिश्च, तत् का सा अनन्तरसिद्धनोभवोपपात गतिः ? अनन्तरसिद्धनोभवोपपातगतिः पञ्चदशविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-तीर्थसिद्धानन्तरसिद्धनोभवोपपातगतिश्च यावद् अनेकसिद्धनोभवोपपातगतिश्च, तत् का सा परम्परसिद्धनोभवोपपातपश्चिमी चरमान्त से (पुरथिमिल्लं चरमंतं) पूर्वी चरमान्त को (एगसमएणं गच्छति) एक समय में जाता है (दाहिणिल्लाओ वा चरमंताओ उत्तरिल्लं चरमंतं) अथवा दक्षिणी चरमान्त से उत्तरी चरमान्त को (एगसमएणं) एक समय में (गच्छति) जाता है (एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं) इसी प्रकार उत्तरी छोर से दक्षिणी छोरतक (उवरिल्लाओ हेडिल्लं) ऊपरी छोर से नीचले छोर तक (हिडिल्लाओ उवरिल्लं) नीचले छोर से ऊपरी छोर तक (से तं पोग्गलणोभवो ववायगती) यह पुद्गलनोभवोपपातगति है। .. (से कि तं सिद्धणोभवोक्वायगती ?) सिद्धनोभधोपपातगति कितने प्रकार की है ?-(सिद्धणोभवोववायगती दुविहा पण्णत्ता) सिद्धनोभवोतपानगति दो प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (अणंतरसिद्धणोभवोववायगती, परंपरसिद्ध जो भवोववायगती य) अनन्तर सिद्ध नो भोवोपपातमति और परम्परसिद्ध नोभवोपपातगति। (से कि तं अणंतरसिद्धणोभवोचवायगती ?) अनन्तरसिद्धनो भवोपपातगति कितने प्रकार की है ? (अणंतरसिद्धणोभवोववायगती पण्णरसविहा पण्णत्ता) अनन्तरसिद्ध नो भवोपपातगति पन्द्रह प्रकार की कही हैं (तं जहा) वह इस पा चरमंताओ) अथवा, पश्चिमी य२मान्तथी (पुरथिमिल्लं चरमंत) का यभान्तमा (एगसमएणं गच्छति) से समयमा लय छ (दाहिणिल्लाओ वा चरमान्ताओ उत्तरिल्लं घरमंत) मा क्षिाए। यरमान्तथी त यत्मान्मा (एगसमएणां) समयमा (गच्छति) तय छ (एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं) मे प्रIR Gत्तर त२३थी क्ष सुधी (वरिल्लाओ हेदिल्लं) ५२नी यी नायनी gai (हिडिल्लाओ उवरिल्लं) नीयता छ।यी ५२ना सुधी (सेतं पोग्गलणोभवोवत्रायगती) मा पुगसनी २ लातति छ , (से किं तं सिद्धणोभवोववायगती ?) सिद्धनाल५पाताति मा ४२नी छ १ (सिद्ध णो भवोववायगती दुविहा पण्णत्ता) सिद्धनास पातगति मे ४.२नी ही छ (तं जहा) 'मारे (अणंतरसिद्ध गोभवोवधायगती,परंपर सिद्धणोभवोवनायगती न्य) मनन्तर सिद्ध ભપાતગતિ અને પરંપર સિદ્ધભપાતગતિ છે ' (से किं तं अणन्तर सिद्धगोभवोववायगती १) सन-२ सिद्ध सातगतिमा २नी छ ? (अणंतरसिद्धगोभत्रोववायती पण्गरसबिहा पण्णचा) मनन्तर सिद्धमा

Loading...

Page Navigation
1 ... 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881