Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 850
________________ प्रज्ञापनास्त्र गंति ? परम्पर सिद्ध नोमवोपपातगेतिरनेकविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा अप्रथमसमयसिद्ध नो भवोपपातगतिः, एवं द्विसमयसिद्धनो भवोपपातगतिवित्-अनन्तसमयसिद्धनोभवोपपातगतिः, सा एपा सिद्ध नो भवोपपातगतिः, सा एपा उपपातगतिः ४, तत् का सा विहायोगतिः ? [.विहायोगतिः सप्तदशविधा प्रज्ञप्ता तद्यथा-स्पृशद्गतिः १, अस्पृशद्गतिः २, उपसम्पद्यमानगतिः ३, अनुपसम्पद्यमानगतिः ४, पुद्गलगतिः ५, मण्डूकगतिः ६, नावागतिः ७, नयगतिः प्रकार (तित्थसिद्धअणंतरसिद्धणोभवोववायगती) तीर्थसिद्ध-अनन्तरसिद्ध नो भवोपपाताति (य) और (जाव) यावत् (अणेगसिद्धणोभवोववायगती य) अनेकसिद्ध नोभवोपपातगती। ... . .. (से किं तं परंपरसिद्धणोभवोववायगती ?) परम्परासिद नो भवोपपातगति कितने प्रकार की है ? (परंपरसिद्ध नो भवोपपातगती अणेगविहा पण्णत्ता) परम्परसिद्ध नो भवोपपागति अनेक प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (अपढमसमयसिद्धणो भवोववायगती) अप्रथमसमयसिद्ध नो भवोपपातंगती (एवं दुसमयसिद्ध णोभवोववायगनी) इसी प्रकार दिसमयसिद्ध नो भवोपपातगती (जाव अगंतसमयसिद्धणोभवोववायेगती) यावत् अनन्तममयसिद्ध नो भवो पपातगति (से त्तं सिद्धणोभवोववायगती) यह सिद्ध नो भवोपपातगति का प्ररूपणहआ (से तंणोभवोववायगती, से तं उववायगती) इस प्रकार नो भवोपपातगति का प्ररूपण और उपपातगति का प्ररूपण हुआ (से किं तं विहायगती?) विहां योगति कितने प्रकार की है ? (विहायगती सत्तरसविहा पण्णत्ता) विहायोगति सत्तरह प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (फुसमाणगती) स्पर्श करती ला५पातगति ५४२ प्रा२नी छ (तं जहा) ते मा भंडारे (तित्यसिद्ध अणंतरसिद्धणो भवोववायगती) तीर्थ सिद्ध-मनन्त सिद्धनासपातमति: (य) मन (जाव)- यावत् (अणेगसि द्वणोभवोवायगती) भने सिद्धनासपातगति , . . . . . , __ (से कि तं परंपरसिद्वणोभवोवायगती १) ५२ ५२। सिद्धनासा५पातगति स नी छ ? (परंपरसिद्धनोभवोववायगती अणेगविहा पण्णत्ता) , ५२५२- सिद्धनाला५पाताति मन४ ४२नी ही छे (तं जहा) ते .मा हारे ( अपढमसमयसिद्धणोभवोववायगती ) २५प्रथम सिद्धनो भातगति (एवं दु समय सिद्धणो ,भवोववायगती), मे शत. वि समय सिद्धनासायति (जाव अणंत समयसिद्धणोभवोववायगती) यावत् मनन्त समय सिद्धनाला५तगति (सेत्तं सिद्धणोभवोववायगती) २ सिद्धनासपातगतिनु प्र३५] थयु (सेत्तं णो भवोववायगती, सेतं , उववायगती), न पत नु: प्र३५]। भने ७५पातगतिनु ५३५५ थयु. 1 , .. . . . . . . . (से कि त विहायगती १) विलयति नी ? (विहायर ती सत्तरस विहो पग्णत्ता) वायो गति सत्त२ प्रा२नी : ही छे (तं जहा) ते मा ५४३ (फुसमाणगती)

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