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प्रतियोधिनी टीका यद १५ -२० ८ अतीन्द्रियविशेषविषयनिरूपणम् क्षेत्रम् अवगाह्य सल्लु तिष्ठति ? इन्त गौतम ! स्थूणा खलु ऊर्ध्वमुच्छ्रिता तच्चैव तिष्ठति, आकाशथिग्गलः खलु भदन्त ! केन स्पृष्टः कतिभिर्वा कायैः स्पृष्टः ? किं धर्मास्तिकायेन स्पृष्टः, धर्मास्तिकायस्य देशेन स्पृष्टः, धर्मास्तिकायस्य प्रदेशैः स्पृष्टः ? एवम् अधर्मास्तिकायेन, आकाशास्तिकायेन, एतेन भेदेन यावत् पृथिवी कायिकेन स्पृष्टः, यात् त्रसकायिकेन अद्धासमयेन स्पृष्टः १ गौतम ! धर्मास्तिकायेन स्पृष्टः, नो धर्मास्तिकायस्य देशेन स्पृष्टः, खेत्तं ओगाहइत्ताणं) जितने क्षेत्र को अवगाहन करके (चिट्ठह) रहती है (तिरियं पि य णं आयता समाणी) तिर्शी लम्बी की हुई भी (तावइयं चेव खेतं) उसने ही क्षेत्र को (ओगाहाताण चिहइ) अवगाहन करके रहती है (हंता गोयमा !) - हां, गौतम ! (थूणाणं उड्डे असिया तं वेद) स्थूणा ऊंची उठी हुई, इत्यादि वही ___(चिठ्ठति) रहती है।
(आमासधिग्गले णं अंते !) हे भगवन् ! आकाशरूप बिग्गल अर्थात् लोक (किंणा फुडे) किससे स्पृष्ट है ? (कहिं वा काएहिं फुडे ?) कितने कायों से स्पृष्ट है ? (किं धम्मत्यिकाएणं फुडे) क्या धर्मास्तिकाय लेस्पृष्ट है ? (धम्मस्थिकायस्स देसेणं फुडे) धर्मास्तिकाय के देश से स्पृष्टहै ? (धम्मत्थिकायस्स पएसेहि फुडे) 'धर्मास्तिकाय के प्रदेशों ने स्पृष्ट है ? (एवं अधम्मास्थिकाएणं) इसी प्रकार अधर्मा• स्तिकाय ले (आगासस्थिकारणं) आकाशास्तिकाय से (एएणं भेदेणं) इस भेद से (जाव पुढविकाएणं) यावत् पृथ्वीकाय ले स्पष्ट है (जाव तसकाए णं) यावत त्रसकाय से (अद्धा समएणं) काल से (फुडे) स्पृष्ट है ? (गोयमा! धम्मस्थिकाएणं फुडे) हे गौतम ! धर्मास्तिकाय से स्पृष्ट है (नो धम्मस्थिकायस्स देसेणं पाई। . मानां शन (चिइ) २ छ (तिरिय पि य ण आयता समाणी) तिछी माना थान
प (तावइय चेव खेत्तं) तथा ४ क्षेत्रने (ओगाहित्ताण चिदुइ) साना शन ? (हंता गेयमा !) , गौतम ! (थूणाणं उड्ढं असिया तं चेव) स्थू! अथा. deी, त्या ते (चिटुंति) २९ छे
(आगोसथिगलेणं भंते !) लगवन् । मा।। ३५ यि पर्थात् at (किंणा फ़डे) शानायी स्पृष्ट छ ? अर्थात् २५यिद छे ? (कइहिं वा कारहिं वा फुडे ?) ही याथी स्पृष्ट छ १ (कि धम्मत्थिकारण फुडे) शुधमास्तियथी स्पृष्ट छ, (धम्मत्यिकायस्स देसेणं फुडे) धस्तियना शिथी स्पष्ट छ ? (धम्मत्थिकाचस्स पएसेहि फुडे) धर्मास्तियना प्रशायी स्पृष्ट छ १ (एवं अधम्मत्थिकारणं) से प्रभारी मधमान यथी (आगासत्थिकाए ण) माशास्तियथी (एएण भेदेण) मा महथी (जाव पुडविकारण फुडे) यावत् पृथ्वीजयथा रष्ट छ (जाव • तसकाएण) यावत् सायथी (अद्धा समरण) tथी (फुडे) २५ष्ट छ (गोयमा! धम्मत्थिकारणं फुडे) गौतम ! यास्ति यथी स्पृष्ट छ (नो धम्मस्थिकायस्स देसेणं फुडे) मास्तियना देशथी स्पृष्ट नथी. (धम्मत्थिकायम्त पएसेहिं फुडे) यास्तियना प्रदेशाथी स्पृष्ट छ