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प्रमेयवोधिनी टोका पद १५ सू० ११ भावेन्द्रियस्वरूपनिरूपणम्
'७९३ वद्धानि ? पञ्च, क्रियन्ति पुरस्कृतानि ? पञ्च वा, दश ग, एकादश वा, संख्येयानि वा, असंख्येयानि वा, अनन्तानि वा, एवम् अम्मरकुमारस्यापि, नवरं पुरस्कृतानि पञ्च वा पइ वा, संख्येयानि वा, असंख्येशनि या, अनन्तानि वा, । एवं यावत् स्तनितकुमारस्यापि, एवं पृथिवीकायिकाप्कायिकवनस्पतिकायिकस्यापि, द्वीन्द्रियत्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियस्यापि, तेजसायिकवायुकायिकस्यापि ‘एवञ्चैव, नवरय्-पुरस्कृतानि पड् वा, सप्त वा, संख्येयानि वा, असंख्येयानि वा, अनन्तानि वा, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकस्य यावद् ईशानस्य, यथा कितनी (भाविंदिया) भावेन्द्रियां (अतीता) अतीत हैं ? (गोयमा ! अगंता) हे गौतम ! अनन्त (केवड्या बद्देल्लगा ?) कितनी बाद-वर्तमान हैं (पंच) पांच (केवइया पुरेक्खडा) कितनी भावी हैं ? (पंच वा दस वा, एक्कारस चा, संखेजा वा, असंखेन्जावा, अणंता वा) पांच, अथवा दना, अथवा ग्यारह, अथवा संख्यात, 'अथवा असंख्यान अथवा अनन्न (एवं असुरकुमारस्स वि) इसी प्रकार असुरकुमार की भी (नवरं) विशेष (पुरेक्खडा) भावी (पंच वा छ वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा, अर्णता वा) पांच, अथवा छह, अथवा संख्यात, अथवा असंख्यात, अथवा अनन्त (एवं जाव थणियकुमारस्स वि) इसी प्रकार यावत् स्तनिकुमार की भी (एवं) इसी प्रकार (पुढविकाइय-आउकाइयवणस्सइकाइयस्स वि) इसी प्रकार पृथ्वीकायिक, अकायिक, वनस्पतिकायिय की भी (वेइंदिय-तेइंदिय-चरिदि'यस्स वि) इसी प्रकार द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय की भी (तेउकाइय वाउकाइयस्स वि) तेजस्कायिक, वायुकायिक की भी (एवं चेय) इसी प्रकार (नवरं) विशेष (छ वा, सत्त वा, संखे जा वा, असंखेजा वा अणंना वा) छह, अथवा सात, अथवा संख्यान, अथवा असंख्याल, अथवा अनन्त (पंचिंदियतिरिक्खजो(भाव दिया) सन्द्रियो (अतीता) मतीत छ ? (गोयमा । अर्णता) गोतम । मनन्त (केवइया बर्नोल्लगा) eी मद्ध-पतभान छ ? (पंच) पांय (केवइया पुरेक्खडा) ४सी भावी छे ? (पंच वा दस वा एक्कादस वा संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा, अणंता वा) पांय અથવા દશ, અથવા અગીયાર, અથવા સંખ્યાત, અથવા અન્ય ખ્યાત, અથવા અનન્ત (एवं असुरकुमारस्स वि) मे प्रथा मसु२भारनी ५५ (नवर) विशेष (पुरेक्खडा) लावी (पंच वा छ वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा अणता वा) ५य या छ, अथवा सच्यात अथवा मध्यात, अथवा मानत (एवं जाव थणियकुमारस्स वि) से आरे यावत् स्तनित भा२नी ५] (एवं) मे ॥२ (पुढविकाइय-आउकाइय-वणरसइकाइयस्स वि) से रे पृथ्वीय, 228114४, वनस्पति यिनी ५९] (बेइंदिय-तेइंदिय-चउरि दियस्स वि) मेर
अरे दीन्द्रय, त्रीन्द्रिय, यतुरिन्द्रियन ५ (तेउ माइय वाउकायम्स वि) ते/48, मने वायु ४४५४नी पए (एवंचे) मे४ प्रा२ (नवर) विशेष (छ वा, सत्त वो, संखे-जा वा असं खेज्जा वा अणंता वा) छ, मया सात, मया सभ्यात, मथवा मA 211, अथवा . न० ११०