Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 789
________________ प्रमेयपोधिनी टीका पद १६ सू० ३ जावप्रयोगनिरूपणम् भवन्ति २ '६' 'अहवेगे- य कम्मगसरीरकायप्पभोगी य' अथवा एकश्च-कश्चिन्मनुष्य कार्मणशरीरकायप्रयोगी च भवति १, 'अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य २' अथर एके च-केचन मनुष्याः कार्मणशरीरकायप्रयोगिणश्च भवन्ति २'८' 'एते अट्ठ भंगा पत्तेयं एते-उपर्युक्ता अष्टौ भङ्गाः प्रत्येकसंयोगे भवन्ति, __ अथ मनुष्याणां द्विकसंयोगे चतुर्विंशति भङ्गान् प्ररूपयितुमाह-'अहवेगे य ओरालियमीससरीरसायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य १' अथवा एकश्च-कश्चिन्मनुष्यः औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगी च, आहारकशरीरकायप्रयोगी च भवति १, 'अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य, आहारगसरीरकायप्पओगिणो य २' अथवा एकश्चकश्चन औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च आहारकशरीरकायप्रयोगिणश्च भवन्ति २, 'अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य, आहारगसरीरकायप्पओगी य ३' अथवा एकश्च-कश्चन औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च आहारकशरीरकायप्रयोगी च भवति.३, कायप्रयोगी होता है, अथवा अनेक मनुष्य आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं २, (६) अथवा कोइ एक मनुष्यकार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा बहुत मनुष्यकार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं २,(८) ये आठ भंग एक-एक की अपेक्षा से हैं। अव मनुष्यों में द्विक संयोगी (दो-दो के संयोग से होने वाले) चौवीस भंगों की प्ररूपणा की जाती है__ अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है (१)। • अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकाप्रयोगी और बहुत आहारकशरीरकायप्रयोगी होते हैं (२)। ___ अथवा कोई अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाययोगी और एक आहारकशरी(૫) અથવા ઘણા મનુષ્ય આહારક મિશ્ર શરીરકાય પ્રયોગ છે (૬) અથવા કોઈ એક મનુષ્ય કામણ શરીરકાય પ્રવેગી થાય છે, (૭) અથવા ઘણુ મનુષ્ય કામણ શરીરકાય પ્રયોગો હોય છે (૮) આ આઠ ભાગ એક એકની અપેક્ષાએ છે. હવે માણસમાં હિક સગી બે બેના સંગથી થનારા) જેવીસ અંગેની પ્રરૂપણા કરાય છે અથવા કોઈ એક દારિક મિશ્ર શરીરકાય પ્રયોગી અને એક આહારક શરરકાય प्रयागी खाय (१) અથવા કેઈ એક દારિક મિશ્ર શરીરકાય પ્રોગી અને બહુ આહારક શરીરકાય प्रयोगा (२) અથવા કેઇ એક ઔદારિક મિશ્ર શરીરકાય પ્રાણી અને ઘણું આહારક શરીરકાય म० १०७

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