Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 819
________________ अमेयबोधिनी टीका पद १६ खु० ५ जीवप्रयोगे चतुष्कर्मयोगनिरूपणम् प्रयोगी च भवति १, 'अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्प ओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पभोगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २, अथवा एकश्चकश्वन औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च, भाहारकशरीरकायप्रयोगी च, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च, एकेच केचन कार्मणशरीरकायप्रयोगिणश्च भवन्ति२, 'अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पभोगी च आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पभोगिणो य कामासरीरकायप्पोगी य ३' अथवा एकश्च-कश्चन औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च, आधारकशरीरकायप्रयोगी च, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च केचित्, कश्चित्कार्मणशरीर• कायप्रयोगी च भवति ३, 'अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायापोगी य, आहारगमीसासरीरकायापयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४' अथवा एकश्च-कश्चित् भौदारिशमिश्रशरीरकायप्रयोगी च,आहारकशरीरकायप्रयोगी च, एके च केचन आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च, केचन कार्मणशरीरकाययोगिणश्च भवन्ति १, होता है और एककाणशरीरकायप्रयोगी होता है । (१) . . अथवा कोई एक मनुष्य औदारिकरिशरीरकायप्रयोगी होता है, एक आहाकशरीरकायप्रयोगी होता है, एक आहार कमिश्रशरीर कायप्रयोगी होता है और अनेक मनुष्य कार्सणशरीरकायप्रयोगी होते हैं (२) । . . अथवा कोई एक मनुष्य औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी एक आहारकशरीरकायप्रयोगी, बहुत-से आहारकमिशरीरकायप्रयोगी एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है (३)। . अथवा कोई एक मनुष्य औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है, बहुत से आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं और बहुत -ले कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं (४)। ___ अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, बहुत-से आहाशरी२यप्रयोगी हाय छ (१) અથવા કેઈ એક મનુષ્ય ઔદારિક મિશ્રશારીરકી પ્રયાગી હોય છે, એક આહારક શરીરકાયDગી હોય છે, એક આહારક મિશ્રશરીરકાયપ્રયોગી હોય છે અને અનેક મનુષ્ય કાર્મjશરીરકાયપ્રયોગી હોય છે (૨) અથવા કઈ એક મનુષ્ય દારિક મિશ્રશરીરકાયપ્રયોગી, એક આહારકશરીરકાયપ્રયોગ, ઘણા બધા આહારક સિઝશરીરકાયપ્રયોગી અને એક કામણશરીરકાયપ્રયોગી उत्य छे (3) અથવા કેઈ એક મનુષ્ય દારિક મિશ્રશરીરકાયપ્રયોગી હોય છે, એક આહારક શરીરકાયપ્રયોગી હોય છે, ઘણા આહારક મિશ્રશરીરકાયમયોગી હોય છે અને ઘણા કાર્મણ शरी२७।यप्रयोगी हाय छे. (४)

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