Book Title: Pragnapanasutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 746
________________ ९०६ पोडशं पदं प्रारभ्यते । मूलम्काइविहे गं पायोगे एण्णते ? गोयना ! प्राणरलबिहे पओगे पणत्ते, तं जहा-सच्चमणप्पओगे १ असच्चमणप्पओगे २, सच्चामोसमणप्पओगे ३, असच्चामलमणप्पोगे ४, एवं वइप्पभोगेवि चउहा ८, ओरालियसरीरकाशमलोगे, ९, ओरालिगनीललगेरज्ञायपओगे १०, बेउनियसरीरकायप्पओगे ११, देउनियनीससरीरकायप्पभोगे १२, आहारकलरीरकायप्पओगे १३, आहारमसीससरीरकायप्पाओगे १४. कम्मासरीरकायप्पओगे १५" ।। ___ छाया-तिविधः खलु प्रयोगः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चदशविधा प्रयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथासत्यमनः प्रयोगः १, असत्यमनः प्रयोगः २, सत्यम्पाननः प्रयोगः ३, असत्यमृपामनः प्रयोगः ४, एवं वचः प्रयोगऽपि चतुर्विधः ८, औदारिकशरीरकायप्रयोगः ९, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगः १०, वैक्रियशरीरकायप्रयोगः ११, वैक्रियपिशरीरसायप्रयोगः १२, आहारकशरीरकायप्रयोगः१३, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगः १४,कार्मणशरीरकायप्रयोगः १५"। सोलहवां-प्रयोगपद शब्दार्थ-(कविहे णं- भंते ! पओगे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! प्रयोग कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते) हे गौतम! पन्द्रह प्रकार का प्रयोग कहा है-(नं जहा) वह इस प्रकार (सन्चलणपओगे) सत्यमन:प्रयोग (अलचमणप्पओणे) असल्यानः प्रयोग (सच्चामोलमणप्पओगे) सत्य मृषामनः प्रयोग (अच्चामोलमणप्पओगे) असत्वकृपामनः प्रयोग (एवं वइप्प. ओगे वि) इसी प्रकार वचनप्रयोग सी (च उहा) चार प्रकार का है (ओरालियः सरीरकायप्पओगे) औदारिकशरीरकायप्रयोग(ओरालियमीप्लसरीरकायप्पओगे) औदारिकमिश्र शरीरक्षाय प्रयोग (वेउन्चियसरीरकाथाओगे) वैक्रियशरीकाय સેળ-પ્રવેગ પદ शा-(कइविहे णं भंते । पओगे पण्णत्ते ?) हेमन् । प्रा डेट 311 Bl १ (गोयमा । पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते) गीतमा ५४२ २ प्रये. ४ा छ (तं जहा) ते २ रे (सच्चमणप्पओगे) सत्य भनः प्रयः। (असच्चमणप्पओगे) असत्य भन. प्रयाग (सच्चामोसमणप्पओगे) सत्य भूषा मनः प्रयास (असच्चामोसमणप्पओगे) असत्या मृषा भन. प्रयाग (एवं वइपओगे) से प्रभारी ,पयन प्रयास पर (चउहा) या२ ५४ारे छे (ओरालियसरीरकायप्पओगे) मोह४ि शरीर ४५५ (ओरालियमीससरीरकोयापभोगे) मोहाभिशश२४यप्रयोस (वेउव्यियसरीरकायप्पओगे) वाय शरी२४।यप्रयो। (आहारगसरीरकायप्पओगे) RAI81२४ शरी२४ायप्रयोग (आहारगमीससरीर

Loading...

Page Navigation
1 ... 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881