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• प्रमैयबोधिनी टीका पद १० सू. ५ द्विप्रदेशादिस्कन्धस्य चरमाचरमत्वनिरूपणम् .१५५
चतुर्णा परमाणूनामेकसम्बन्धिपरिणामपरिणतत्वात् एक वर्णगंधरसस्पर्शत्वाच्चैकत्वव्यपदेश, एकत्वव्यपदेशाच्चचरम इति, मध्यवर्तिनौ द्वौ परमाणूत्वेकत्वपरिणामपरिणतत्वादचरम इति तदुभयात्मक षट्पदेशिक स्कन्धोऽपि 'चरमश्च अचरमश्च' इति व्यपदिश्यते, 'सिय चरमेय अचरमाई य.८ पटनदेशिका स्कन्धः स्यात्-कदाचित "चरमश्च अचरमौ च" इति व्यपदिक श्यते, तथाहि यदा पप्रदेशिकः स्कन्धो वक्ष्यमाणसप्तविंशस्थापना२७रीत्या षट्मुआकाश-- -प्रदेशेषु समश्रेण्या एकाधिकमवगाहते तदा पर्यन्तवर्तिनः समश्रेण्याऽवस्थिताश्चत्वारः परमाण
वः प्रागुक्तयुक्त्या चरमः, मध्यवर्तिनौ द्वौ परमाणु अचरमौ इति तदुभयात्मक परदेशिका स्कन्धोऽपि 'चरमश्वाचरमौ च' इति व्यपदिश्यते, 'सिय चरमाइं च अचरमे य ९' षट्प्रदेशिंकः स्कन्धः स्यात्-कदाचित् 'चरमौ चाचरमश्च' इति व्यपदिश्यते, तथाहि यदा पट्पदेप्रदेशों में, तब वे चार परमाणु एक सम्बन्धी परिणमन में परिणत होने के कारण तथा एक-वर्ण, गंध, रस एवं स्पर्श वाले होने से एक ही कहलाते हैं और इस कारण उनमें एकत्व का व्यवहार होने से 'चरम' है। मध्यवर्ती दो परमाणु "एकत्व परिणाम-परिणत होने के कारण 'अचरम' है, इस प्रकार दोनों का 'समूहरूप षटूप्रदेशी स्कंध भी 'चरम-अचरम' कहलाता है।
षट्प्रदेशी स्कंध कथंचित् 'चरम-अचरमौ' कहलाता है, क्योंकि जब कोई षट् देशी स्कंध आगे बतलाई जाने वाली सत्ताईसवीं स्थापना के अनुसार छह
आकाशप्रदेशों में समश्रेणी ले एकाधिक अवगाहन करता है तव समश्रेणी में स्थित चार परमाणु पहले कहे अनुसार 'चरम' और मध्यवर्ती दो परमाणु 'अच'रमा' कहलाते हैं। दोनों का समूह षटुमदेशी स्कंध भी 'चरम-अचरमौ' कहा जाता है। _ 'षट्प्रदेशी स्कंध 'चरमौ-अचरम' भी कहलाता है । जब पटूप्रदेशी- स्कंध आगे कही जाने वाली अट्ठाईसंवीं स्थापना के अनुसार समश्रेणी में स्थित तीन "મધ્યમા હોય છે અને એક-એક શેષ પ્રદેશમાં હોય છે. ત્યારે તે ચાર પરમાણુ એક સમ્બન્ધી પરિણમનમાં પરિણત થવાને કારણે તથા એક વર્ણ, ગંધ, રસ તેમજ સ્પર્શ વાળા હોવાથી એક જ કહેવાય છે અને એ કારણે તેઓમાં એકત્વનો વ્યવહાર હોવાથી 'चरम' छे. मध्यवती ५२मा ४.५ परिणाम परिणत पान ४२ 'अचरम छे. भी रीते मन्नन। समूड ३५ षट् प्रदेशी २४५ ५ 'चरम, अचरम' उपाय छे.
षट्प्रदेशी २४.५ ४थयित् चरम-अचरसौ, ४उपाय छ, उभ न्यारे ४ ५ षट्પ્રદેશી અબ્ધ આગળ બતાવાશે તે સત્યાવીસમી સ્થાપનાના અનુસાર છ આકાશ પ્રદેશમાં સમશ્રેણીથી એકાધિક અવગાહના કરે છે, ત્યારે સમશ્રેણીમાં સ્થિત ચાર પરમાણુ પહેલા ४ह्या मानुसार 'चरम' अन मध्यवती मे ५२मा 'अचरमौ' ४उपाय छे. मन्ना समूह प शी २४--५-चरम-अचरमौ उपाय छे.