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प्रज्ञापनासूत्रे न एपा भाषा मृपा, अथ भदन्त ! या च स्त्रीवाक या च पुरुषवाक्, या खलु नपुंसकवाक प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा, न एपा मापा सृपा ? हन्त, गौतम ! या च स्त्रीवाक, या च पुंवाक्
भाषाविशेष-वक्तव्यता शषार्थ-(अह) अथ (भंते) भगवन् ! (गा भो) गाय (सिया) मृग (पस्सू) पशु (पक्स्सी) पक्षी (पण्णवणी णं एसा भासा) यह भाषा प्रज्ञापनी है ? (ण एसा भासा मोसा) यह आपा तृषा नहीं है ? (हंता) हां (गोयमा) हे गौतम ! (जा ये गाओ मिया परस पक्खी पण्णवणी णं एला भासा) जो गाय, मृग, पशु, पक्षी, यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा याला मोला) यह ाषा वृषा नहीं है।
(अह अंते ! जाय इत्थीवऊ) अब भगवान् यह जो स्त्रीवचन है, (जा य पुरिसवऊ) जो पुरुषवचन है (जा य नपुंसगवऊ) जो नपुंसक बचन है (पण्णवणी णं एसा भासा) यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भाला मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है ? (हंता गोयसा !) हां गौतम ! (जाय इत्थीवऊ, जा य पुमवऊ, जाय नपुं. सगवऊ) जो स्त्रीवचन है, जो पुरुषवचन है, जो लपुंसकवचन है (पण्णवणी णं एसा भासा) यह भाषा प्रज्ञापनी है (न एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है। - (अह भंते ! जा य इत्थि आणसणी, जाय पुमआणवणी, जाय नपुंसग आणमणी, पण्णवणी गं एसा भासा) अथ भगवन् ! जो स्त्री आज्ञापनी, पुरुषआज्ञापनी, नपुंसक-आज्ञापनी है, यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भासा
1 ભાષા વિશેષ વક્તવ્યતા शा -(अह) २मथ (भंते) में समपन् । (गावो) आय (मिया) भृ। (रसू) पशु • (पक्खी) पक्षी (पण्णवणीणं एसा भासा) 0 मापा प्रज्ञापनी छ ? (ण एसा भासा मोसा)
मा लापा भृषा नथी (हंता) । (गोयमा) गौतम ! (जा य गाओ मिया पसू पक्खी पण्णवणीणं एसा भासा) २ ॥य, भृग, पशु, पक्षी, २॥ साषा प्रज्ञापनी छे (ण एसा • भासा मोसा) मा लाषाभूषा नथी a (अह भंते ! जा इत्थी वऊ) हवे. भगवन् ! सारे स्त्री क्यन छ (जा य पुरिस वऊ) २ ५३५ वयन छे, (जा य नपुंसग वऊ )२ नस४ वयन छे, (पण्णवणीणं एसा भासा) मा माप्रज्ञापनी छे (ण एसा भासा मोसा) 20 साषा मृषा नथी ? (हंता गोयमा ) 0 गौतम । (जा य इत्थीवऊ, जा य पुमवऊ, जा य नपुंसगवऊ) रेखी क्यन छ, २ पु३५वयन छ, नपुस ययन छ (पण्णवणीणं एसा भासो) मा लाषा प्रज्ञापना छ (न एसा भासा मोसा) मा माषा भूषा नथी
(अह भंते । जा य इत्थी आणमणी, जा य पुम आणमणी, जा य नपुंसग ओणमणी, पण्णवणीणं एसा भासा) भय से लगवन् ! २ श्री ज्ञानी, ५३५ याज्ञायनी, नथुस मानायनी, से भाषा प्रज्ञायनी छ (ण एसा भासा मोसा) मा मा भृषा नथी (हंता