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प्रमेयबोधिनी टीका पद १२ सू. १ शरीरप्रकारनिरूपणम् एवम् असुरकुमाराणामपि यावत्स्तनितकुमाराणास्, पृथिवीसायिकानां भदन्त ! कति शरीरकाणि बज्ञप्तानि ? गौतम ! त्रीणि शरीरकाणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-औदारिकम्, तैजसम्, कार्मणम्, एवं वायुकोयिस्वर्ज यावत्-चतुरिन्द्रियाणां, वायुकायिकानां भदन्त ! कति शरीरकाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! चखारि शरीरकाणि प्रज्ञतानि, तद्यथा-औदारिकम्; वैक्रियम् तेजसं, कार्मणम्, एवं पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानामपि, मनुष्याणां भदन्त ! कति शरीरकाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम .. (नेरझ्याणं भंते! कह सरीरया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! नारकों के कितने शरीर कहे हैं ? (गोयमा ! तो सरीरमा पण्णत्ता) हे गौतम ! तीन शरीर कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (वेउविर, तेथए, कम्मए) वैक्रिय, तैजस, कार्मण (एवं असुरकुमाराण दि जाव थणियकुमाराण) इसी प्रकार असुर कुमारों के यावतू स्तनित कुमारों के __ (पुढविकाइयाणं भंते ! कह सरीरया पण्णत्ता) हे भगवन् ! पृथ्वीकाइकों के कितने शरीर कहे गए हैं ? (गोयमा ! तओ सरीरया पण्णत्ता) हे गौतम! तीन शरीर कहें हैं (तजहा ओरालिए, तेथए, कम्मए) वे इस प्रकार-औदारिक तैजस, कार्मण (एवं वाउकाइयवज जाव चरिंदियाण) इसी प्रकार वायकायिकों को छोडकर यावत् चौइन्द्रियों तक (वाउकाइयाणं भंते ! कइ सरीरया पण्णत्ता) भगवन् ! वायुकायिकों के कितने शरीर कहे हैं ? (गोयमा ! चत्तार सरीरया पण्णत्ता) हे गौतम ! चार शरीर कहे हैं (तं जहा-ओरालिए, वेउव्विए तेयए, कम्मए) औदारिक, वैक्रिय, तैजस, कार्मण (एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणिः याणवि) इसी प्रकार पंचेन्द्रिय तियचों के भी (मणुस्साण भंते ! कह सरीरया
(नरइयाणं भंते । कइ सरीरया पण्णत्ता) पन् । नाना eai शरी२ zi छ (गोयमा । तओ सरीरया पण्णत्ता) गौतम ! जय शरी२ ४i छ (तं जहा) तसा मा.. ४ारे (वेउब्बिए, तेअए, कम्मए) पेठिय, तेस्, म (एवं असुरकुमाराण वि जाव थणिय कुमाराणं) सारे असुमाराना यावत् स्तनित भारी सुधी
(पुढविकाइयाणं भंते | कइ सरीरया पण्णत्ता ?) 3 भगवन्! पृथ्वीना ei शरी२ ४i छ ? (गोयमा ! तओ सरीरा पण्णत्ता) 3 गौतम! जय शरीर ४i छ- (तं जहा) तो मा ४२ (ओरालिए, तेयए, कम्मए) मोहा२ि४, तैस, भए (एवं वाउकाइयवज्ज जाव चरिंदियाणं) से प्रारे वायुयो। सिवाय यावत् यतुरिन्द्रियो सुधा (बाउकाइयाणं भंते । इ सरीरया पण्णत्ता) हे सगवन् वा ४.यहीना है। शरीर हाय है ? (गोयमा । चत्तारि सरीरया पण्णत्ता) ७ गोतम ! यार शरी२ ४ो छ (तं-जहा ओरालिए, वेउव्विए, तेयए कम्मए) से मारे-मो२ि४, वैश्य, तेरस, आम (एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण वि) मे रे येन्द्रिय तियाना ५५५ (मणुस्साणं भंते ! कई सरीरया पण्णता?) सावन् ! भासान मां शरी२ gai छ (गोयमा ! पंच
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