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प्रमेययोधिनी टीका पद १३ सू० १ परिणामस्वरूपनिरूपणम्
५०७ परिणमनं परिणामः, 'अकर्तरि'-इति भावे घञ् प्रत्ययः, स च परिणामो नयभेदेन विविधो भवति, नयाश्च नैगमादिभेदेनाने के सन्ति तेपां सर्वपामपि नयानां संग्राहकी प्रवचने द्वौ नयौ वर्तेते-द्रव्यास्तिकनयः, पर्यायास्तिकनरक्ष, तथा चोक्लम
'तिथियश्वयणसंगहामिसेस पत्थार मूलवाभरणा।
दव्वटिमो य पज्जवनओ य सेसा विगप्पासिं ॥१॥ का इन्द्रिय रूप परिणाम इन्द्रिय परिणाम कहलाता है।
(३) कषायपरिणाम-जिसमें कषन्ति अर्थात् प्राणी दुःखी होते हैं, उसे 'रूप' कहते हैं । कष का अर्थ है संख्या जिनके कारण कष अर्थात् संसार की प्राप्ति हो, वह कषाय । जीव के कषाय रूप परिणमन को कषाय परिणाम कहते हैं।
(४) लेश्या परिणाम-लेश्या का स्वरूप आगे कहा जायगा। लेश्या रूप का परिणमन लेश्या परिणाम कहलाता है।
()योगपरिणाम-मनोयोग आदि योग कहलाते हैं । योग रूप परिणाम योग परिणाम कहलाता है।
(६) उपयोग परिणाम-उपयोग प्रतीत ही है, उपयोग रूप परिणाम उपयोग परिणाम है ।
(७) ज्ञानपरिणाम-मतिज्ञान आदि पांच ज्ञानरूप परिणाम ज्ञानपरिणाम है। (८) दर्शनपरिणाम-सामान्य बोध रूप परिणमन ।
(९) चारित्रपरिणाम-चरण रूप परिणाम । ' (१०) वेदपरिणाम-स्त्री वेद आदि रूप में जीव का परिणमन विभिन
(3) ४ायपरिणाम-२मा 'कपन्ति' अर्थात् प्राणी भी थाय छे, ते ४ છે કષનો અર્થ છે સંસાર, જેના કારણે કષ અર્થાત્ સ સારની પ્રાપ્તિ થાય તે કષાય જીવના કષાય રૂપ પરિણમનને કષાય પરિણામ કહે છે.
(૪) લેશ્યા પરિણામ-લેશ્યાનું સ્વરૂપ આગળ કહેવાશે. વેશ્યા રૂપ જીવનું પરિણમન લેશ્યા પરિણામ કહેવાય છે.
(५) योगपरिणाम-मनाया माहियोग उपाय छे. या ३५ परिणाम यो परણામ કહેવાય છે
(૬) ઉપગપરિણામ–ઉપગ પ્રતીત જ છે, ઉગ રૂપ પરિણામ ઉપયોગ પરિણામ છે.
(૭) જ્ઞાન પરિણામ-મતિજ્ઞાન આદિ પાંચ જ્ઞાન રૂપ પરિણતિ જ્ઞાન પરિણામ છે.
(८) शन परिणाम-सासान्य माध३५ परिमन. (6) शारित्र परिणाम-य३५ परिणति.
(૧) વેઢ પરિણામ-રીવેદ આદિ રૂપમાં જીવનું પરિણમન વિભિન્ન ભાવે પર