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FEEEEEEEEEENA 卐 झाड़ियों वाले स्थान) में, द्रह में, जलाशय में, घास आदि के समूह में, वलय (गोलाकार नदी
आदि के पानी से टेढे-मेढ़े स्थान) में, अन्धकारयुक्त प्रदेश में, गहन ( वृक्ष, लता आदि झुंड से सघन वन) में, पर्वत के एक भागवर्ती वन में, पर्वत पर पर्वतीय दुर्गम प्रवेश में, वन में, 卐 बहुत-से वृक्षों से दुर्गम वन में, 'ये मृग हैं,' ऐसा सोच कर किसी मृग को मारने के लिए ॐ कूटपाश रचे (गड्ढा बना कर जाल फैलाए) तो हे भगवन्! वह पुरुष कितनी क्रियाओं वाला कहा गया है? अर्थात्- उसे कितनी क्रियाएं लगती है?
[4 उ.] हे गौतम! वह पुरुष कच्छ में, यावत्- जाल फैलाए तो कदाचित् तीन ॥ क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है।
[प्र.] भगवान् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि वह पुरुष कदाचित् तीन + क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पांच क्रियाओं वाला होता है?
[उ.] गौतम! जब तक वह पुरुष जाल को धारण करता है, और मृगों को बांधता 卐 नहीं है तथा मृगों को मारता नहीं है, तब वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, इन 卐 ॐ तीन क्रियाओं से स्पृष्ट (तीन क्रियाओं वाला) होता है। जब वह जाल को धारण किये हुए है।
है और मृगों को बांधता है किन्तु मारता नहीं, तब तक वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, और पारितापनिकी, इन चार क्रियाओं से स्पृष्ट होता है। जब वह पुरुष जाल को 卐 धारण किए हुए है, मृगों को बांधता है और मारता है, तब वह-कायिकी, आधिकरणिकी, ' 卐 प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी और प्राणातिपातिकी, इन पांचों क्रियाओं से स्पृष्ट होता है। इस
कारण हे गौतम! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पांचों क्रियाओं वाला कहा जाता है।
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{72) पुरिसे णं भंते! धणुं परामुसति, धणुं परामुसित्ता, उसुं परामुसति, उसुं परामुसित्ता 卐 ठाणं ठाति, ठाणं ठिच्चा आयतकण्णाययं उसुं करेति, आययकण्णाययं उसुं करेत्ता ॥ ॐ उड्ढं वेहासं उसु उव्विहति, 2 ततो णं से उसुंउड्ढं वेहासं उव्विहिए समाणे जाई तत्थ :
पाणाई भूयाइं जीवाइं सत्ताई अभिहणति वत्तेति लेस्सेति संघाएति संघट्टेति परितावेति किलामेति, ठाणाओ ठाणं संकामेति, जीवितातो ववरोवेति, तए णं भंते ! से पुरसे म कतिकिरिए?
गोयमा! जावं च णं से पुरिसे धणुं परामुसति जाव उव्विहति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणातिवातकिरियाए, पंचहिं किरियाहिं पुढे।
(व्या. प्र. 5/6/10 (1)) 4 ))))))) ) ))
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))) )) अहिंसा-विश्वकोश/271