________________
馬
纸
(1029)
पाणे य णाइवाएजा अदिण्णं पि य णातिए ।
सातियं ण मु बूया एस धम्मे वसीमओ ॥
筑
(सू.कृ. 1/8 /20)
- सहित
प्राणियों का अतिपात (वध) न करे, अदत्त भी न ले (चोरी न करें), कपट-र झूठ न बोले। यह मुनि का धर्म है।
{1030}
पुढवी आऊ अगणी वाऊ तण रुक्ख सबीयगा । अंडया पोय जराऊ रस संसेय उब्भिया ॥
एतेहिं छहिं काएहिं तं विज्जं ! परिजाणिया ।
मणसा कायवक्केणं णारंभी ण परिग्गही ॥
(सू.कृ. 1/9/8-9)
卐
पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु तथा तृण, वृक्ष और मूल से बीज तक वनस्पति के दस प्रकार तथा अंडज, पोतज, जरायुज, रसज, संस्वेदज और उद्भिज्ज- इन छहों जीव
卐
निकायों को विद्वान् जाने और इनकी हिंसा न करे। मनसा, वाचा, और परिग्रही न बने ।
卐
筑
卐
(1031)
छज्जीव सडायदणं णिच्वं मणवयणकायजोएहिं ।
कुरुदय परिहर मुणिवर भावि अपुव्वं महासत्त ॥
कर्मणा आरम्भी (हिंसक )
卐
[ जैन संस्कृति खण्ड /414
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
馬
(भा.पा. 132 ) 卐
卐
उत्कृष्ट धैर्य के धारक मुनिवर ! तू मन, वचन, काय रूप भोगों से निरन्तर छह $ काय के जीवों पर दया कर, छह अनायतनों का परित्याग कर और अपूर्व आत्मभावना का
筑
चिन्तन कर ।
馬
編編卐
筆
筑
筆
卐