Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 02
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 599
________________ LEVELELELELELELELELELELELELELELELELEVELELELELELELELELELEVELE उद्धरण का प्रारम्भिक अश उद्धरण पृष्ठ । संख्या संख्या उद्धरण का प्रारम्भिक अंश उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 458 298 261 91 512 223 210 235 634 387 376 584 219 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$%弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱 631 से तं जाणहि जमहं... 517225 से तं संबुज्झमाणे... 1053 428 से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं... 1039 419 से नूणं भंते सवपाणेहिं... 10345 से बेमि-अप्पेगे अंधमब्भे...। 1038 418 से बेमि- अप्पेगे अच्चाए... से बेमि- इमं पि जाति... 1052 427 से बेमि-जे य अतीता... 311 145 से भिक्खू जं पुण... 984 396 से भिक्खू जे इगे तस... 1084 440 से भिक्खू वा इत्थी... 965 से भिक्खू वा इमाई... 963 385 से भिक्खू वा गामाणुगाम... 942 944 378 1010 405 1061 432 से भिक्खू वा जाय भासा... 965 386 से भिक्खू वा जाव समाणे... 976 392 977 393 से भिक्खू वा पुमं... 386 से वेमि... संति मे तसा.... 433 रोवाकृषिवाणिज्य... 804 329 से हु पन्नाणमंते... 389 174 सोऊण वा गिलाणं... 589 254 सोचाणं फरुसा भासा... 1014407 सोऽयावश्यकयोगानां... 806 सौख्यार्थे दुःखसन्तानं... 13763 सौजन्यस्य परा कोटि... 573 सौमुख्यं लोकविज्ञानं... 382 172 स्तोकैकेन्द्रियघाताद्... 681 281 स्थूलहिंसानृतस्तेय... 687 285 खानमनेकप्रकारम्... 834 339 सानेन उष्णोदकेन... 1054 429 सिह्यन्ति जन्तवो नित्यं.... 1135 स्नेहं वैरं सङ्गं... 811 स्यादारेका च षट्कर्ग... 710 स्यान्निरामिषभोजित्वं... 611 स्वकीयं जीवितं यद्वत्... __195 स्वपरहितमेष मुनिभिः... 1012 स्वपुत्रपौत्रसन्तानं... स्वभावादार्जवोपेता... स्वभावाशुचि दुर्गन्ध... स्वयं परेण वा ज्ञातं... 652 स्वयमेव विलितं यो... स्वयमेवात्मनाऽऽत्मानं..... 57 स्वर्गायावतिनोऽपि... स्वान्यायोरप्यनालोक्य... स्वामिगुरुबन्धुवृद्वान्... 530 हंता पलस्य विक्रेता.... हंतूण जीवरासिं महु... हंतूण य बहुयाणं... 818 हओ न संजले भिक्खू... 548 हतपुचो तत्थ डंडेणं... 864 हते निष्पीपिडते ध्वस्ते... 1106 हम्ममाणो ण कुप्पेजा... 858 हरिणो हरिणीं गीति... 503. हरियाणि भूयाणि... 1076 हासभयलोहकोह... 418 हासेण वि मा भण्ण... 414 हास्यलोभभयक्रोध 970 हिदमिदवयणं.. 685 हिंसं अलियं चोज्ज... 540 हिंसंति व भमर-महुकरि... हिंसनं साहसं द्रोहः... 538 हिंसनाब्रह्मचौर्यादि... 53 हिंसाए पडिवक्खो... 145 251 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明劣乐平 965 1062 .330 249 510 16 REFERREEEEEEEEEEEEEEEEEM अहिंसा-विश्वकोश/5691

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