Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 02
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication
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उत्दरण का उद्धरण पृष्ठ । उद्धरण का
उद्धरण पृष्ठ प्रारम्भिक अश संख्या संख्या प्रारम्भिक अश संख्या संख्या जीवेसु मित्तचिंता... 1149
णिहाय दंडं पाणेहिं... 863349 जीवो कसायबहुलो... 37 11 तं च इम-पंच महव्वय... 479 208 जे इमे सण्णिपंचिंदिया... 524231 तं च भिक्खू जाणेज्जा... ____1097 जे इह आरंभणिस्सिया... 282 - 127 तं णो करिस्सामि... जे गुणे से मूलठ्ठाणे... ___488 ____ 211 तं परिगिज्झ दुपयं... 455 जे जहाणामए केइ पुरिसे... 289 130 तं परिण्णाय मेहावी... जेण रागा विरज्जेज... 1159 468 तं पुण करेंति केइ... जे ते अप्पमत्तस्स... 817 - 333 तं भुजमाणा पिसितं... जे पमत्ते गुणठिए... 49 15 तइयं च वईए पावियाए... जे मायरं च पियरं च... 835 339 तए णं ते अन्नउत्थिया... जे य अतीता जे य... 313 146
128 जे यावि भुंजंति... 122: 56 तए णं ते थेरा...
129 जेवऽन्ने एएहिं काएहिं.... 145 - 65 तए णं यावच्चापुत्ते... जे वि न वावजंती... 41 1 तओ आउपरिक्खीणे... जे वि य इह माणुसत्तणं.... 10 123 तओ से दण्डं समा... 482 जेसिं पि य णं... 7328 तक्कय सहकारितं... जो आरंभ ण कुणदि... 688 286 तचं चेतं तहा चेतं... जो उपर कंपंतं...
579
तच्चिन्त्यं तद्भाष्यं... 815 जो जीवरक्खणपरो....... 350 163 तणरुक्खं न छिंदेज्जा... 1063 जो धम्मत्यो जीवो...... 563
तणरुक्खहरिदछेदण... 830 जो भुजदि आधाकम्म......988398 ततः प्रादुर्भवत्युच्चैः... 278 जो य पमत्तो पुरिसो... 41 . 12 . ततो मनसा वचसा....
682 जो वावरेइ सदओ... 678 .281 ततो मनोवाग्भ्यां .... जो सहइ उ गामकंटए... 854 345 ततो विदुर्विभङ्गात् स्वं.... 27 ज्योतिश्चक्रस्य चन्द्रो... 359
ततो से एगदा बिप्परि... 455 ठाणे निसीयणे चेव... 932. 374 ततोऽस्याधीतविश्वस्य... ण तेसु कुज्झे ण य... 859347 तत्तु च्चिय मरियव्वं... णत्थि अणूदो अप्पं... 26
तत्तु च्चिय सो भावो... ण सिण्हायंति तम्हा ते... 1054 429 तत्तो तित्थुच्छेओ... णिक्खित्तसत्थदंडा... .
841
तत्थ खलु भगवता... 513 -224 जिंदाए य पसंसाए... 845342
523 229 णिरणुकंपा णिरवयक्खा... 471 203
1066 णिसम्मभासी य विणीय... 851344 तत्थ खलु भगवता छज्जीव... 1024
1024_411
114 316
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700 .
अहिंसा-विश्वकोश/5571

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