Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 02
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 586
________________ $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$! এ६ এन त এतএএ5 এ5 এ5 प्रत এ5 এतএ5 এ5 এ5 এ5 95 96 95 95 এभএ5 এ5 এ% এन এन এএএএ६ baba bf उद्धरण का प्रारम्भिक अंश छजीव सहायतणं..... छिन्नाछिन्नवनपत्र... छिन्नान् बद्धान् रुद्धान्.... 45 छेदनताडनबन्धा..... छेदनबन्धनपीडन... छेदन भेदनमारण.... छेदणबंधणवेढण.... जं इच्छसि अप्यणतो... जं एवं तेलोकं.... जं किंचुवक्कमं जाणे..... जं कीरइ परिरक्खा.... जं जीवनिकायवहेणं... जंताई मूलकम्म.... जंपणपरिभवणियडि.... जं पि वत्थं वा पायं... जंबू ! अपरिग्गहसंवुडे.... जइ मज्झ कारणा... जगत्-त्रयचमत्कारि..... जगदाक्रममाणस्य... जगनिस्सिएहिं भूएहिं..... जतो पाणवधादी..... जत्थेव चरड़ बालो.... जदं चरे जदं चिट्ठे.... जदं तु चरमाणस्स.... जदि कुणदि कायखेद..... जन्तुकृपार्दितमनसः.... जन्मानुबन्धवैरो य...... जन्मो भयभीतानाम्... जम्हा असद्यवयणा... जयं घरे जयं चिद्वे.... जयं विहारी चित्तणिवाती... जरज्जम्बूकमाघ्राय... जलक्रीडाऽन्दोलनादि..... उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 1031 414 713 300 580 251 691 287 690 286 398 177 447 194 1090 442 200 93 865 351 597 257 483 210 402 179 492 213 1058 430 838 340 224 101 1163 469 760 317 1057 430 417 184 96 40 928 372 929 372 1074 438 895 361 1136 459 369 168 52 15 927 372 935 375 1139 460 755 315 उद्धरण का प्रारम्भिक अंश जलं च मज्जण पाण... जलचर थलचर... जलधन्ननिस्सिया.... जस्स इमाओ जातीओ..... जस्सेते छजीवणिकाय... जरसेते लोगंसि कम्म... जस्सेते वणस्सतिसत्थ.... 516 508 1067 380 1023 513 1047 जह कोइ तत्तलोहं... 539. जह परमण्णस्स विसं... 396 जह पव्यदेसु मेरू.... 28 जह भमर-महुयरगणा..... 590 जह मम न पिये दुक्खं... 847 जह मे इद्वाणिट्टे... 843 जाई च बुद्धिं च विणासयंते... 1078 जा जयमाणस्स भवे ... 45 जाणं करेति एको..... 174 1043 574 966 1007 1094 249 545 934 749 46 1158 204 1092 180 595 489 865 जायतेयं न इच्छंति.... जायन्ते भूतयः पुंस.... जा य सच्चा अवत्तव्वा... जा रागादिनियत्ती.... जावंति लोए पाणा.... जावइयाइं दुक्खाई होति..... जितात्मानो जयन्ति... जियदु व मरदु व जीवो.... जीवजीवान्..... जीवन्तु वा नियन्तां..... जीवन्तु जन्तवः सर्वे.... जीववहो अप्पवहो.... उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 33 जीवहिंसादिसंकल्पै:.... जीवाणमभयदाणं.... जीविते इह जे पमत्ता.... जीवियं णाभिकंखेज्जा... प्रतन धन पএ६ ६ ६ এन এन এन এএএन এএन এএन এन এএन এन এএन এन এএन [ जैन संस्कृति खण्ड /556 225 221 435 171 410 224 425 239 177 9 254 343 342 439 54 76 420 250 388 404 443 110 241 374 313 14 467 94 442 78 256 212 351 卐 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 馬 編 卐 事 卐 卐 筑 卐 過 卐 卐 卐 卐 卐 絹 卐

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