Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 02
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 517
________________ FFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEES तीर्थंकर के तीर्थ में सगर राजा से द्वेष रखने वाला एक महाकाल नामक असुर हुआ। उसी अज्ञानी ने इस हिंसा-यज्ञ का 卐 उपदेश दिया है। महाकाल ने ऐसा क्यों किया? यदि यह जानने की इच्छा है तो सुन लीजिए। इसी भरत क्षेत्र में चारण卐 युगल नाम का नगर है। उसमें सुयोधन नाम का राजा राज्य करता था। %%%%%%%%%弱弱弱弱弱弱弱弱 देवी तस्यातिथिख्यातिस्तनूजा सुलसाऽनयोः। तस्याः स्वयंवरार्थेन दूतोक्त्या पुरमागते ॥ (214) महीशमण्डले साकेतेशिनं सगराइयम्। तत्रागन्तुं समुधुक्तमन्यदा स्वशिरोरुहाम्॥ (215) कलापे पलितं प्राच्यं ज्ञात्वा तैलोपलेपिना। निर्विद्य विमुखं याते विलोक्य कुशला तदा ॥ (216) धात्री मंदोदरी नाम तमित्वा पलितं नवम्। पवित्रं द्रव्यलाभं ते वदतीत्यत्यबूबुधत्॥ (217) तत्रेव सचिवो विश्वभूरप्येत्यान्यभूभृताम्। पराङ्मुखी सा त्वामेव सुलसाऽभिलषत्यलम् ॥ (218) यथा तथाऽहं कर्ताऽस्मि कौशलेनेत्यभाषत । तद्वचःश्रवणात्प्रीतः साकेतनगराधिपः॥ (219) 听听听听听听听听听听听听听听听听 उसकी पट्टरानी का नाम 'अतिथि' था, इन दोनों के सुलसा नाम की पुत्री थी। उसके स्वयंवर के लिए दूतों के 卐 के कहने से अनेक राजाओं का समूह चारणयुगल नगर में आया था। अयोध्या का राजा सगर भी उस स्वयंवर में जाने 3 卐 के लिए उद्यत था। परंतु उसके बालों के समूह में एक बाल सफेद था। तेल लगाने वाले सेवक से उसे विदित हुआ 3 卐कि यह बहुत पुराना है। यह जानकर वह स्वयंवर में जाने से विमुख हो गया, उसे निर्वेद-वैराग्य हुआ। राजा सगर की है 卐 एक मंदोदरी नाम की धाय थी जो बहुत ही चतुर थी। उसने सगर के पास जाकर कहा कि यह सफेद बाल नया है और 卐 卐 तुम्हें किसी पवित्र वस्तु का लाभ होगा-यह कह रहा है। उसी समय विश्वभू नाम का मंत्री वहां आ गया और कहने लगा卐 卐 कि यह सुलसा अन्य राजाओं से विमुख होकर जिस तरह आपको ही चाहेगी उसी तरह मैं कुशलता से सब व्यवस्था है 卐 कर दूंगा। मंत्री के वचन सुनने से राजा सगर बहुत ही प्रसन्न हुआ। 明明明明明明明明明明明明 चतुरङ्गबलेनामा सुयोधनपुरं ययौ। दिनेषु केषुचित्तत्र यातेषु सुलसान्तिके ॥ (220) मन्दोदर्याः कुलं रूपं सौन्दर्य विक्रमो नयः। विनयो विभवो बंधुः संपदन्ये च ये स्तुताः॥ (221) गुणा वरस्य तेऽयोध्यापुरेशे राजपत्रिका। तत्सर्वमवगम्यासीत्तस्मिन्नासंजिताशया ॥ (222) 听听听听听听听听听听听 बन ... वह चतुरंग सेना के साथ राजा सुयोधन के नगर की ओर चल दिया और कुछ दिनों में वहां पहुंच भी गया। ॐ सगर की मंदोदरी धाय उसके साथ आई थी। उसने सुलसा के पास जाकर राजा सगर के कुल, रूप, सौंदर्य, पराक्रम, ॐ नय, विनय, विभव, बंधु, संपत्ति तथा योग्य वर में अन्य प्रशंसनीय गुण होते हैं, उन सब का व्याख्यान किया। यह सब ॐ जान कर राजकुमारी सुलसा राजा सगर में आसक्त हो गई। अहिंसा-विश्वकोश।487]

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