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הברכהפרברלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלהלביץ
ततः क्षीरकदम्बे च सम्यक् संप्राप्य संयमम्। प्रांते सन्यस्य संप्राप्से नाकिनां लोकमुत्तमम्॥ (326) पर्वतोऽपि पितृस्थानमध्यास्याशेषशास्त्रवित्। शिक्षाणां विश्वदिकानां व्याख्यातुं रतिमातनोत् ॥ (327) तस्मिन्नेव पुरे नारदोऽपि विद्वज्जनान्वितः। सूक्ष्मधीविहितस्थानो बभार व्याख्यया यशः॥ (328)
तदनन्तर क्षीरकदम्ब ने उत्तम संयम धारण कर लिया और अंत में संन्यासमरण कर उत्तम स्वर्ग-लोक में y जन्म प्राप्त किया। इधर समस्त शास्त्रों का जानने वाला पर्वत भी पिता के स्थान- पद पर बैठ कर सब प्रकार की म शिक्षाओं की व्याख्या करने में रुचि-पूर्वक कार्य करने लगा। उसी नगर में सूक्ष्म बुद्धिवाला नारद भी अनेक विद्वानों ज के साथ निवास करता था और शास्त्रों की व्याख्या के द्वारा यश प्राप्त करता था।
गच्छत्येवं तयोः काले कदाचित्साधुसंसदि। अजैहोंतव्यमित्यस्य वाक्यस्यार्थप्ररूपणे॥ (329) विवादोऽभून्महांस्तत्र विगताकुरशक्तिकम्। यवबीजं त्रिवर्षस्थमजमित्यभिधीयते ॥ (330) तद्विकारेण सप्ताचिर्मुखे देवार्चनं विदः। वदन्ति यज्ञमित्याख्यदनुपद्धति नारदः॥ (331) पर्वतोऽप्यजशब्देन पशुभेदः प्रकीर्तितः। यज्ञोऽग्नी तद्विकारेण होत्रमित्यवदद्विधीः॥ (332)
इस प्रकार उन दोनों का समय बीत रहा था। किसी एक दिन साधुओं की सभा में 'अजै)तव्यम्' इस वाक्य का अर्थ निरूपण करने में बड़ा भारी विवाद चल पड़ा। नारद कहता था कि जिसमें अंकुर उत्पन्न करने की शक्ति नष्ट हो गई है, ऐसा तीन वर्ष का पुराना जौ'अज' कहलाता है और उससे बनी हुई वस्तुओं के द्वारा अग्नि के मुख में देवता की पूजा करना-आहुति देना 'यज्ञ' कहलाता है। नारद का यह व्याख्यान यद्यपि गुरु-पद्धति के अनुसार था, परंतु निर्बुद्धि पर्वत कहता था कि 'अज' शब्द एक पशु-विशेष का वाचक है, अत: उससे बनी हुई वस्तुओं के द्वारा अग्नि में होम करना 'यज्ञ' कहलाता है।
द्वयोर्वचनमाकर्ण्य
द्विजप्रमुखसाधवः। मात्सर्यान्नारदेनैष धर्मः प्राणवधादिति ॥ (333) प्रतिष्ठापयितुं धात्र्यां दुरात्मा पर्वतोऽब्रवीत् । पतितोऽयमयोग्योऽतः सह संभाषणादिभिः ॥ (334)
उन दोनों के वचन सुनकर उत्तम प्रकृति वाले साधु पुरुष कहने लगे कि इस दुष्ट पर्वत की नारद के साथ ॐ ईर्ष्या है, इसीलिए यह 'प्राणवध से धर्म होता है', यह बात पृथ्वी पर प्रतिष्ठापित करने के लिए कह रहा है। यह पर्वत)
ॐ बड़ा ही दुष्ट है, पतित है, अतः हम सब लोगों के साथ वार्तालाप आदि करने हेतु अयोग्य है। REETTEFFER
[जैन संस्कृति खण्ड/500