________________
卐
筑
जिनके अवयव कट गये हैं, जो बांधे गये हैं, रोके गये हैं, पीटे गये हैं, खोये गये हैं♛ ऐसे निरपराधी अथवा अपराधी मनुष्यों को देख कर तथा मृगों, पक्षियों, सरीसृपों और पशुओं को मांस के लिए दूसरे लोगों के द्वारा मारा जाता अथवा उन्हें परस्पर में ही एक दूसरे की हिंसा करते और एक दूसरे का भक्षण करते देख कर, तथा कुंथु, चींटी आदि अनेक छोटे 馬 जन्तुओं को मनुष्य, ऊंट, गधे, शरभ, हाथी, घोड़े, आदि के द्वारा कुचले जाते देखकर, तथा ! असाध्य रोगरूपी सर्प के द्वारा इसे जाने से पीड़ित मैं मर गया, मैं नष्ट हो गया इत्यादि चिल्लाने 馬
事
馬
卐
$$$$$$$$$$$
卐
筆
क प्राणियों को देख उनके दुःख को अपना ही दुःख मानकर उसको शांत करना' अनुकम्पा' है।
卐
事
筆
编卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐编
कृतकरिष्यमाणोपकारानपेक्षैरनुकम्पा कृता भवति ।
पुण्यासवं सा त्रिविधानुकम्पा सुतेषु पुत्रं जननी शुभेव । श्वेतानुकम्पा प्रभवाद्विपुण्यान्नाके मृता अभ्युपपत्तिमीयुः ॥
编告
卐
वाले रोगियों को देख तथा जिनकी अवस्था अभी मरने की नहीं है ऐसे गुरु, पुत्र, स्त्री आदि
का सहसा वियोग हो जाने से चिल्लाते हुए, अपने अंगों को शोक से पीटते हुए, कमाये हुए
(भग. आ. विजयो 1828)
धन के नष्ट हो जाने से दीन हुए तथा धैर्य, शिल्प, विद्या और व्यवसाय से रहित गरीब
"
'अति दुर्लभ मनुष्य जन्म पाकर वृथा ही क्लेश के पात्र मत बनो । प्राणियों के लिए
कल्याणकारी धर्म में मन लगाओ।' इत्यादि उपदेशों के द्वारा किये गये अथवा भविष्य
किये जाने वाले उपकार की अपेक्षा के बिना अनुकम्पा करनी चाहिए ।
ये तीनों प्रकार की अनुकम्पा पुण्य कर्म का आस्रव करती है । वह, जैसे माता पुत्र
लोग स्वर्ग में देव होते हैं।
(581)
रोगेण वा छुधाए तण्हणया वा समेण वा रूढं । देट्ठा समणं साधू पडिवज्जद आदसत्तीए ॥
के लिए शुभ होती है, उसी प्रकार शुभ है। उस अनुकम्पा से हुए पुण्य के विपाक से मर कर
( प्रव. 3/52)
भोपयोगी मुनि, किसी अन्य मुनि को रोग से, भूख से, प्यास से अथवा श्रम
编编编编
[ जैन संस्कृति खण्ड /252
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
थकावट आदि से आक्रान्त देख उसे अपनी शक्ति अनुसार स्वीकृत करे अर्थात् वैयावृत्त्य
द्वारा उसका खेद दूर करे ।
馬
卐
卐卐卐卐卐卐卐卐R
卐
事