________________
FFFFFFFFFFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEP 卐 लेकर ही आएगा, या आहार लिए बिना ही आएगा, वहं आहार करके ही आएगा, या आहार किये बिना ही आ जाएगा, अथवा वह अवश्य आया था, या नहीं आया था, वह आता है,
अथवा नहीं आता है, वह अवश्य आएगा, अथवा नहीं आएगा, वह यहां भी आया था, ॥ अथवा वह यहां नहीं आया था, वह यहां अवश्य आता है, अथवा कभी नहीं आता, अथवा ॐ वह यहां अवश्य आएगा या कभी नहीं आएगा या कभी नहीं आएगा, (इस प्रकार की
एकान्त निश्चयात्मक भाषा का प्रयोग साधु-साध्वी न करे)।
{964)
प्रियं पथ्यं वचस्तथ्यं, सूनृतव्रतमुच्यते । तत् तथ्यमपि नो तथ्यम्, अप्रियं चाहितं च यत्॥
(है. योग. 1/21) ___ दूसरे को प्रिय, हितकारी या यथार्थ वचन बोलना सत्यव्रत कहलाता है। परंतु जो वचन अप्रिय या अहितकर है, वह तथ्य वचन होने पर भी सत्य वचन नहीं कहलाता।
明明明明明明明明明明明明明明 $$$听听听听听斯
{965) से भिक्खू वा जा य भासा सच्चा, जा य भाषा मोसा, जा य भासा सच्चामोसा मजा य भाषा असच्चामोसा तहप्पगारं भासं सावजं सकिरियं कक्कसं कडुयं णिठुरं ॥ 5 फरुसं अण्हयकरि छेयणकरि भेयणकरिं परितावणकरिं उद्दवणकरिं भूतोवघातियं । अभिकंख णो भासेजा। (524)
से भिक्खू वा जा य भासा सच्चा सुहुमा जा य भासा असच्चामोसा तहप्पगारं 卐 भासं असावजं अकिरियं जाव अभूतोवघातियं अभिकंख भासेजा। (525)
से भिक्खू वा पुमं आमंतेमाणे आमंतिते वा अपडिसुणेमाणे णो एवं वदेजा 4 होले ति वा, गोले ति वा, वसुले ति वा कुपक्खे ति वा, घडदासे ति वा, साणे ति वा
तेणे ति वा, चारिए ति वा मायी ति वा, मुसावादी ति वा, इतियाइं तुम, इतियाई ते 卐जणगा वा। एतप्पगारं भासं सावजं सकिरियं जाव अभिकंख णो भासेजा। (526)
से भिक्खू वा पुमं आमंतमाणे आमंतिते वा अपडिसुणेमाणे एवं वदेजाम अमुगे ति वा, आउसो ति वा, आउसंतारो ति वा; सावके ति वा, उवासगो ति वा।
धम्मिए ति वा, धम्मप्पिए ति वा। एतप्पगारं भासं असावजं जाव अभूतोवघातियं म अभिकंख भासेजा। (527)
%%%%%%%%%%弱弱弱弱弱弱%%%%%%%%%%%%%%%%$$$$
R
E [जैन संस्कृति खण्ड/386
ETTEEEEEEEEEEEEEET