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筑 हंता जाव उवक्खाइत्ता भवति ।
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卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 हंता जाव उवक्खाइत्ता भवति ।
10. से एगतिओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अण्णयरं वा तसं पाणं
11. से एगतिओ गोघातगभावं पडिसंधाय गोणं वा अण्ण- तरं वा तसं पाणं
हंता जाव उवक्खाइत्ता भवति ।
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(सू.कृ. 2/2/ सू. 709 )
6. कोई पापात्मा भेड़ों का चरवाहा बन कर उन भेड़ों में से किसी को या अन्य
पीड़ा देकर या उसकी हत्या करके अपनी आजीविका चलाता है। इस प्रकार का महापापी
उक्त महापाप के कारण जगत् में स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है।
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किसी भी त्रस प्राणी को मार-पीट कर, उसका छेदन-भेदन-ताड़न आदि करके तथा उसे
7. कोई पापकर्मा जीव सूअरों को पालने का या कसाई का धंधा अपना कर भैंसे,
सूअर या दूसरे स प्राणी को मार-पीट कर, उनके अंगों का छेदन-भेदन करके, उन्हें तरह
तरह से यातना देकर या उनका वध करके अपनी आजीविका का निर्वाह करता है । इस
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प्रकार का महान् पाप-कर्म करने के कारण संसार में वह अपने आपको महापापी के नाम से विख्यात कर लेता है ।
節 8. कोई पापी जीव शिकारी का धंधा अपना कर मृग या अन्य किसी त्रस प्राणी
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को मार-पीट कर, छेदन - भेदन करके, जान से मार कर अपनी जीविका उपार्जन करता
है । इस प्रकार के महापापकर्म के कारण जगत् में वह स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है।
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卐 9. कोई पापात्मा बहेलिया बन कर पक्षियों को जाल में फंसा कर पकड़ने का धंधा
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स्वीकार करके पक्षी या अन्य किसी त्रस प्राणी को मार कर, उसके अंगों का छेदन - भेदन
करके, या उसे विविध यातनाएं देकर उसका वध करके उससे अपनी आजीविका कमाता
10. कोई पापकर्मजीवी मछुआ बन कर मछलियों को जाल में फंसा कर पकड़ने
है। वह इस महान् पापकर्म के कारण विश्व में स्वयं को महापापी के नाम से प्रख्यात कर
लेता है।
का धंधा अपना कर मछली या अन्य त्रस जलजंतुओं का हनन, छेदन - भेदन, ताड़न आदि
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करके तथा उन्हें अनेक प्रकार से यातनाएं देकर, यहां तक कि प्राणों से रहित करके अपनी
| आजीविका चलाता है। अत: वह इस महापाप कृत्य के कारण जगत् में स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है।
[ जैन संस्कृति खण्ड /114
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