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11. कोई पापात्मा गोवंशघातक (कसाई) का धंधा अपना कर गाय, बैल या ! अन्य किसी भी त्रस प्राणी का हनन, छेदन, भेदन, ताड़न आदि करके उसे विविध यातनाएं देकर, यहां तक कि उसे जीवन-रहित करके उससे अपनी जीविका कमाता है। परंतु ऐसे निन्द्य महापापकर्म करने के कारण जगत् में वह अपने आपको महापापी के रूप में प्रसिद्ध कर लेता है ।
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12. से एगतिओ गोपालगभावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा परिजविय परिजविय
हंता जाव उवक्खाइत्ता भवति ।
13. से एगतिओ सोवणियभावं पडिसंधाय सुणगं वा अन्नयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवति ।
筑 14. से एगतिओ सोवणियंतियभावं पडिसंधाय मणुस्सं वा अन्नयरं वा तसं 卐 पाणं हंता जाव आहारं आहारेति, इति से महता पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति ।
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14. कोई पापात्मा शिकारी कुत्तों को रख कर श्वपाक (चांडाल ) वृत्ति अपना कर ग्राम आदि के अंतिम सिरे पर रहता है और पास से गुजरने वाले मनुष्य या प्राणी पर शिकारी कुत्ते छोड़ कर उन्हें कटवाता है, फड़वाता है, यहां तक कि जान से मरवाता है। वह प्रकार का भयंकर पापकर्म करने के कारण महापापी के रूप में प्रसिद्ध हो जाता है।
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(सू.कृ. 2/2/ सू. 709 )
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12. कोई व्यक्ति गोपालन का धंधा स्वीकार करके (कुपित होकर) उन्हीं गायों या उनके बछड़ों को टोले से पृथक् निकाल-निकाल कर बार-बार उन्हें मारता पीटता तथा भूखे रखता है, उनका छेदन - भेदन आदि करता है, उन्हें कसाई को बेच देता है, या स्वयं उनकी हत्या कर डालता है, उससे अपनी रोजी-रोटी कमाता है। इस प्रकार के महापापकर्म 翁 करने से वह स्वयं महापापियों की सूची में प्रसिद्धि पा लेता है । 過 13. कोई अत्यन्त नीचकर्मकर्ता व्यक्ति कुत्तों को पकड़ कर उन्हें पालने का धंधा अपना कर उनमें से किसी कुत्ते को या अन्य किसी त्रस प्राणी को मार कर, उसके अंगभंग करके या उसे यातना देकर, यहां तक कि उसके प्राण लेकर उससे अपनी आजीविका 卐 噩
कमाता है। वह उक्त महापाप के कारण जगत् में स्वयं को महापापी के नाम से प्रसिद्ध कर लेता है।
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अहिंसा - विश्वकोश | [15]
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