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FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFERENEng मदर्भनिर्मित रस्सी, कूटपाश, बकरी-(चीता आदि को पकड़ने के लिए पिंजरे आदि में रक्खी है
हुई अथवा किसी स्थान पर बांधी हुई बकरी अथवा बकरा)-इन सब साधनों को हाथ में लेकर फिरने वाले-इन साधनों का प्रयोग करने वाले, हरिकेश-चाण्डाल, चिड़ीमार, बाज पक्षी तथा जाल को रखने वाले, वनचर-भील आदि वनवासी, मधु-मक्खियों का घात करने वाले, पोतघातक-पक्षियों के बच्चों का घात करने वाले, मृगों को आकर्षित करने के लिए हरिणियों का पालन करने वाले, मत्स्य, शंख आदि प्राप्त करने के लिए सरोवर, हृद, वापी, 7
तालाब, पल्लव-क्षुद्र जलाशय को खाली करने वाले पानी निकाल कर, जलागम का मार्ग 卐 रोक कर तथा जलाशय को किसी उपाय से सुखाने वाले, विष अथवा, गरल-अन्य वस्तु में ' 卐 मिले विष को खिलाने वाले, उगे हुए त्रण-घास एवं खेत को निर्दयतापूर्वक जलाने वाले, ये है
सब क्रूरकर्मकारी हैं, (जो अनेक प्रकार के प्राणियों का घात करते हैं)।
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{507} इमे य बहवे मिलक्खुजाई, के ते?.
सक-जवण-सबर-बब्बर-गाय-मुरुंडोद-भडग-तित्तिय-पक्कणियकुलक्ख-गोड-सीहल-पारस-कोचंध-दविल-बिल्लल-पुलिंद-अरोस-डोंब
पोक्कण-गंध-हारग-बहलीय-जल्ल-रोम-मास-बउस-मलया-चुंचुया य चूलिया 卐कोंकणगा-मेत्त-पण्हव-मालव-मालव-महुर-आभासिय-अणक्ख चीण-लासिय-) जखस-खासिया-नेहुर-मरहट्ठ-मुट्ठिय-आरब-डोबिलग-कुहण-केकय-हूण-रोमगरुरु-मस्या-चिलायविसयवासी य पावमइणो।
(प्रश्न. 1/1/सू.20) (पूर्वोक्त हिंसाकारियों के अतिरिक्त) ये बहुत-सी म्लेच्छ जातियां भी हैं, जो हिंसक हैं। वे (जातियां) कौन-सी हैं? शक, यवन, शबर, बब्बर, काय (गाय), मुरुंड,
उद, भडक, तित्तिक, पक्कणिक, कुलाक्ष, गौड, सिंहल, पारस, क्रौंच, आन्ध्र, द्रविड़, 卐 卐 विल्वल, पुलिंद, आरोष, डौंब, पोकण, गान्धार, बहलीक, जल्ल, रोम, मास, वकुश, 卐
मलय, चुंचुक, चूलिक, कोंकण, मेद, पण्हव, मालव, महुर, आभाषिक, अणक्क, चीन, CE ल्हासिक, खस, खासिक, नेहुर, महाराष्ट्र, मौष्टिक, आरब, डोबलिक, कुहण, कैकय,
हूण, रोमक, रुरु, मरुक, चिलात-इन देशों के निवासी, जो पाप बुद्धि वाले हैं, वे (हिंसा ॐ में प्रवृत्त रहते हैं।)
G [जैन संस्कृति खण्ड/220
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