________________
%%%%%%
F
FFFFFFFFFFFFFFFFFF 卐 4.से एगतिओ संधिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधिं छेत्ता भेत्ता जाव से महता पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति।
5. से एगतिओ गंठिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव गंठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति म से महया पावेहिं कम्मेहिं अप्पाणं उवक्खाइत्ता भवति।
(सू.कृ. 2/2/ सू. 709) ___ कोई पापी मनुष्य अपने लिए अथवा अपने ज्ञातिजनों के लिए अथवा कोई अपना घर 卐 बनाने के लिए या अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अथवा अपने नायक या परिचित जन है जी तथा सहवासी या पड़ौसी के लिए निम्नोक्त पापकर्म का आचरण करने वाले बनते हैं
1. अनुगामिक (धनादि हरण के लिए किसी व्यक्ति के पीछे लग जाने वाला) बन कर अथवा 2. उपचरक (पाप-कृत्य करने के लिए किसी का सेवक) बन कर या 3.5 卐 प्रातिपथिक (धनादि हरणार्थ मार्ग में चल रहे पथिक का सम्मुखगामी पथिक) बन कर,
अथवा 4. सन्धिच्छेदक (सेंध लगाकर घर में प्रवेश करके चोरी करने वाला) बन कर, CE अथवा 5. ग्रन्थिच्छेदक (किसी की गांठ या जेब काटने वाला) बन कर, अथवा 6. ) औरभ्रिक (भेड़ चराने वाला) बन कर अथवा 7. शौकरिक (सूअर पालने वाला) बन कर 卐या, 8. वागुरिक (पारधि-शिकारी) बन कर, अथवा 9. शाकुनिक (पक्षियों को जाल में
फंसाने वाला बहेलिया) बन कर, अथवा, 10. मात्स्यिक (मछुआ-मच्छीमार) बन कर, या 11. गोपालक बन कर, या 12. गोघातक (कसाई) बन कर, अथवा, 13. श्वपालक
(कुत्तों को पालने वाला) बन कर या, 14. शौवान्तिक (शिकारी कुत्तों द्वारा पशुओं का 卐 शिकार करके उनका अंत करने वाला) बन कर।
1. कोई पापी पुरुष (ग्रामान्तर जाते हुए किसी धनिक के पास धन जान कर) उसका पीछा करने की नीयत से साथ में चलने की अनुकूलता समझा कर उसके पीछे-पीछे
चलता है, और अवसर पा कर उसे (डंडे आदि से) मारता है, (तलवार आदि से) उसके 卐 हाथ-पैर आदि अंग काट देता है, (मुक्के आदि प्रहारों से उसके अंग चूर-चूर कर देता है,
(केश आदि खींच कर या घसीट कर) उसकी विडम्बना करता है, (चाबुक आदि से) उसे
पीड़ित कर या डरा-धमका कर अथवा उसे जीवन से रहित करके (उसका धन लूट कर) FE में अपना आहार उपार्जन करता है।
इस प्रकार वह महान् (क्रूर) पाप कर्मों के कारण (महापापी के नाम से) अपने आप को जगत् में प्रख्यात कर देता है।
%%%%%%%
%%
%%
%%%%
%
%%%
TUEENEFFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE [जैन संस्कृति खण्ड/112