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( १५७ ) १०८. गोपकमोग्गल्लान-सुत्त--बुद्ध के बाद धर्म ही भिक्षुओं का एक मात्र
प्रतिशरण। गोपक ब्राह्मण के साथ आनन्द का संलाप । इस सुत्त से हमें यह सूचना मिलती है कि राजा प्रद्योत के भय से मगधराज अजातशत्र
नगर सुरक्षित करवा रहा था। १०९. महापुण्णम-सुत्त--पञ्चस्कन्ध एवं अनात्मवाद सम्बन्धी उपदेश । ११०. चूलपुण्णम-सुत्त--अच्छे और बुरे मनुष्य। (१२) अनुपद-वग्ग १११. अनुपद-सुत्त--भगवान् बुद्ध द्वारा सारिपुत्र के शील, समाधि और प्रज्ञा
आदि की प्रशंसा। ११२. छब्बिसोधन-सुत्त-अर्हत् की पहचान क्या है ? ११३. सप्पुरिस-सुत्त-सत्पुरुष और असत्पुरुष की पहचान । ११४. सेवितव्व-अमेवितब्व-जल-क्या सेवनीय और क्या असेवनीय है ? ११५. बहुधातुक-सुत्त--धातुओं का निरुपण । ११६. इसिगिलि-सुत्त--प्रत्येक-बुद्ध-सम्बन्धी उपदेश । ११७. महाचत्तारीसक-सुत्त--सम्यक समाधि सम्बन्धी प्रवचन । ११८. आनापानसति-सुत्त-प्राणायाम और ध्यान सम्बन्धी बुद्ध-प्रवचन । ११९. कायगतासति-सुत्त--काये कायानुपश्यना क्या है ? १२०. संखारुप्पत्ति-मुत्त--संस्कारों की उत्पत्ति कैसे ? (१३) सुज्ञता-वग्ग १२१. चूल-सुजना-सुत्त--चित्त की शून्यता का योग । १२२. महासुझता-सुत्त--उपर्युक्त का विस्तृत विवरण । १२३. अच्छरियभुतधम्म-सुत्त-आश्चर्य-पुरुष भगवान् बुद्ध का जन्म कहाँ व कैसे? १२४. वक्कूल-सुत्त--स्थविर वक्कुल की जीवन-चर्या । १२५. दन्तभूमि-मुत्त--संयम का उपदेश । १२६. भूमिज-मुक्त--कौन सा ब्रह्मचर्य मफल है ? १२७. अनुरुद्ध-सुन--भिक्षु अनिरुद्ध द्वारा अ-प्रमाणा चेतो-विमुक्ति पर उपदेश । १२८. उपक्किलेग-युत्त--कलह रोकने के उपाय । योग-साधन। १२९. बाल पंडित मुत्त---जीवन के बाद फल ? १३०. देवदत्त-पुत्त--यम का भय ?