Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag
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( ६६४ )
कार्षापण २८२
कुहन (ई०) १२, १३ काशिकावृत्ति ०३, ६०४
कुंडिया (नगर) २२८ कारिका ६०१
कण्हदीपायन जातक ३०० कासिका प्रत्ति पालिनी (काशिकावृत्ति कुणाल २९३ पालिनी) ६४१
कुणाल जातक २८५ कांक्षारेवत (भिक्षु) २२६
कुप्प स्वामी शास्त्री ५२९ किन-जातक ६३५
कुब्जा उत्तरा १८४ किन्ति-सुत्त २५, ९७, १५६, ३३४ कामन्दक २९२ किन्नर-जातक ६३५
कुम्भकार जातक २८७ किम्बिल २४८
कुम्मास पंड जातक २८७ किरातार्जुनीय ५९०
कुम्भवति जातक किरिया ४०८
कुम्मासपिंड २९४ क्रियामात्र ३८४
कुमार कस्सप ५२५ करणमत :८४
कुमार काश्यप १४६, १८३ क्रियाचित्त ३७५, ३७६, ३८४, ३८५, कुमार पञ्ह १७९, २०८, २१०
३९०, ४१०, ५३३, ५३६ कुरु (प्रदेश) १४५, १५५, १५९, किलेस-संयुत्त १००, १६७
१९५, १९६, २८६, २९२, ५२४ किंविल १५२
कुररघर १७७, १८५ क्विशन्स ऑव किंग मिलिन्द ४३४, करुजातक २८ ४९२,४९४
कुरुंगमिग जातक २७४, २७८, ६३५ किसा गोतनी २७०
कुरुदिगन्ध ५८० किष्किन्धा-कांड २९२
कुरुवम्मचरियं २९९ किंसील २४०
कुरुधम्मजातक २८६, २९९ कीथ (ए. वेरीडेल) ८, १४, १६, १८, कुरुन्दी (कुरुन्दिय) ४९७, ५४९, ५७७
२४, १२१, १२३, ४८४, ५४६ कुरुराजा २८६ कीतिश्री मेघवर्ण (कित्तिसिरि मेघ- कुरुराष्ट्र २८६ वण्ण) ५६६
कुरुक्षेत्र २१ कीति श्री राजसिंह (कित्ति सिरि राज- कलिंग-जातक २८७ _ सिंह) ५६५, ६१३
कुशजातक २८७ कीटागिरि-सुत्त ९६, १५५, ३२९ कुशल ३५९, ३७३, ३७५, ३७६, कुक्कुरवतिक-सत्त ९५, १५३, १६० ३८६, ४०१, ४०२, ४०४, ४०५, कुक्कुट जातक ६३५
४०६, ४०७ ४०८, ४१०, ४३७, कुक्कुटाराम १७७
४३८, ४४२, ४४६, ४५४, ४६० कुद्दाल-जातक २८२
देखिये 'कुसल' और 'कुसला' भी कुट्टाल पंडित २८२
कुसलत्तिक ३५९ कुटिमक जातक २८३
कुशलचित्त २८०, ३७६, ३८५, ३८६, कुंडधान (भिक्षु) १८३
३८७, ३९१ ४३६, ४३९, ५३३, कुडिधान (वन) २२८
५३५, ५३६

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