Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

View full book text
Previous | Next

Page 706
________________ ( ६८५ ) पालिलेय्यक १७३, २२९ 'देखिये ' पारिलेय्यक' भी । पाटलिगामियवग्गो २२६ पाटलिपुत्र ८, १८, २१, ८५, ८७, ९० १५९, १९६, ३३८, ४२१, ४२५, ४८१, ५५६, ५५७, ५६३ पाटिक सुत्त ९२, १३४ पाटलिग्रामवर्ग २३१ पाटिक वग्ग ९१, १३२, १३३, १३४ पाठाचरिय ६४० पंडित वग्ग २१५ पाण्डव पर्वत २८६ पारानिस्सय ६४२ पालि टैक्स्ट सोसायटी (संस्करण) ८३, ८८, १०४, १६०, १७१, १७८, १९५, १९६, १९९, २७७, ३३४, ३४०, ३४५, ३५२, ४१८, ४२१, ४२२, ४५०, ४५२, ४५७, ४७१, ५०५, ५३८, ५४८, ५५३, ५६४, ५६७, ५६८, ५६९, ५७५, ५८१, ५८६, ६०२, ६२८, ६४४, पालि डिक्शनरी ( चाइल्डर्स) १२, ३५९ पालि - त्रिपिटक १०५, ११२, ११३, ११५, ११८, १२०, १२२, १२३, १२८, २००, २७६, ४६५, ४९४, ५०८, ५२४, देखिए 'त्रिपिटक' भी पालि दि लेंग्वेज आँव सर्दन बुद्धिस्ट् ( कीथ का लेख ) १४ पालिधम्मपद २२१, २२२, २२३, २२४ पालिका अभिलेख - साहित्य ६१६ ६४३ पालि-काव्य २६७, ५६३-६०० पालि काव्य शास्त्र ६१६ पालि कोश ७, ६१४-६१६ पालि छन्द: शास्त्र ६१६ पालि व्याकरण - साहित्य ६००-६१४ पालि बौद्ध धर्म ३५० पालि - भाषा १-७३ - शब्दार्थ - निर्णय १ ९, का भारतीय भाषाओं के विकास में स्थान ११-१२ -- किस प्रदेश की मूल भाषा थी ? १२-२८, का मागधी आधार १४-२८ - और वैदिक भाषा २८-३०, और संस्कृत ३० - ३१, और प्राकृत भाषाएँ विशेषतः अर्द्धमागधी शौरसेनी और पैशाची ३१-३५, में पाये जाने वाले प्राकृत-तत्त्व ३२, का , ५७-६२ . के ध्वनि - समूह परिचय ३५-६८, —का शब्दसाधन और वाक्य- विचार ६८-७०, - के विकास की आवस्थाएँ ७१ - ७२, और साहित्य के अध्ययन का महत्त्व ७२-७३ १११,४५०, ४५२, ४७६, ६१७, ६२७ पालि लिटरेचर ऑव बरमा (मेबिल बोड ) १९९, २०१, ३०८, ५९७, ६०६, ६११, ६१२, ६१३, ६३८, पालि लिटरेचर ऑव सिलोन ( मललसेकर) ५६६, ५८८, ५९८, ५९९, ६०४, ६१५ पालि लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज ( गायगर ), १२, १७, १८, १९, २३, ५२, ८०, ९६, १२१, १३२, १६०, १६१, २७३, ३४५, ३४६, ४७१, ४७७, ४७८, ४९८, ५२७, ५५४, ५६९, ५७५, ५८७, ५८८, ५९०, ५९४, ५९५, ५९८, ६०५, ६०६, ६०७ पालि साहित्य ७४, ८३, ९०, ९१, १०८, १२१, १३०, २१०, २७६, २९०, २९१, ३१८, ३४३, ३७४, ४५२, ४९४, ४९५, ५००, ६२७, ६३३, ६३८, ६४३, का उद्भव और विकास ७४-९० ; - का विस्तार, वर्गीकरण और काल-क्रम ७४-११०,—में प्रकृति-वर्णन २५५, के तीन बड़े अट्ठकथाकार

Loading...

Page Navigation
1 ... 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760