Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag
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( ७११)
शील यज्ञ १४०
४५०, ४५२, ४८४. ४९८, ५०५: शीलव्रतपरामर्श १५४ शुक्र २३४
श्री मेववर्ण (सिरि मेघव ण) ५६४ शुभा २६८
श्रीराजाधिराज सिंह ५६५ शुभ १४२
श्रीपद (बद्ध का चरण-चिन्ह ) शुक्रतारा २४५ शुनः शेप की कथा २९०
श्री महासिंह सुधर्मराज (बरमी राजा) शुद्धोदन २६८ शुग ११६
श्री विक्रम राज सिह (सिरि विक्कम शून्यता ४४३
राज सिंह) ५६५ शंकर ४५४
श्री संवोधि (सिरि सम्बोधि--लंकाशूरसेन (सूरसेन) १४५, ११५, ४२२ धिराज) ५७५ श्वेतकेतु आरुणेय ४९४
श्री हर्प ४६४ शेक्सपीयर २९६
श्रुतमयी प्रज्ञा ४११ शैल (ब्राह्मण) १५९
श्रुति ४८० शैला (भिक्षुणी) २७२
श्रेडर ८७८ शैक्ष्य ३१३, ३१४, ३५५, ४१८. ४३३, शैक्ष्य-अशेध्य ३५५ शोभन (चित्त) ३८६, ५३४
श्रोत्र ३३०, ३४८,४०२, ४०३,४०४, शोभन-चित्त-साधारण ३८७
४०६, ४३५, ४४० । शोभन चेतसिक ३८७
श्रोत्र-आयतन ४०१ शोणा (भिक्षुणी) २६८
श्रोत्र-विज्ञान १६५,३४८,३८१, ३८२. शोभा (भिक्षुणी) २६८
४०३, ४०४, ४६१ शोभित स्थविर २३०, ३८७ श्रोत्र संस्पर्गजा (वेदना) ८०० शौरमेनी १८, २८, ३१. ३२.---का श्रोत मूत्र १०८
पालि से सम्बन्ध ३:-३८, ३१. श्रद्धा १७१, २२३, ५३,
प श्रद्धेन्द्रिय ४३१, ४८८
पडायतन ४५४ श्रगाल माता १८४
पाण्णागारिक ४२४ श्रमण गोतम १८१ धावक ०३ श्रावक संघ ३२७
मंगीति पर्यायपाद ? १५.३५३. ३५८. श्रावस्ती (मावत्थि) १८. १०६, १५६.
१५९, १८३, १८८. १०.३, २२६. मंगीति-पन्यिाय-मत्त १३.१०१.१०. २०७, ०३०. २८६, ११, ५१५. १७१, १८१, १०, ३३४.३४. ५२४, ५२६. ३२१
३४२,३५५, ६२९ श्रीमती गयम डेविडम् (मी० ए० मगारव-सुत्त १.७, १५६
एफ०) १२३, ९६.३१०.३८०. मगाथवग्ग 22, १६..? ६४५. ३९.१, १५.४२१.४४३. सगाथवन्त संयन-अटकया ६३९.

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