Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag
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वनवासी सम्प्रदाय ५९८ वन-संयुक्त्त ९९, १६३ वट्टतक जातक ३००
( ७०६ )
वक्कुल- सुत्त १५७ वज्जिपुतक ४२२, ४२६, ४२८, ४४८,
५५१ वर्ण-परिवर्तन ३३ - वण्णनीतिगन्धो ५७७ वर्णव्यत्यय ३२, ७० वत्थूपम-मृत्त ( वत्थ सुन ) ९३
वनपत्थ-सुत्त ९४, १५१
वनवास (मैसूर का उत्तरी भाग) ५५७,
५६८, ५७२, ५७४
वलाह-संयुत्त १००, १६८ वशिष्ठ २८१
वसुमित्र ३५३, ३५५. ४२३, ४२४, ४४९
वंग १५९. ८९८
वंगीश ( वंगीस ) ७८, १६३, ५२५ वंगीस-मंयुत्त ९९, १९३
व्यंजन अनुरूपता ६३.६४ व्यंजन - विपर्यय ६३
व्यंजनों के उच्चारण स्थान में परिवर्तन ५९ ६१, ६३ ६६-६७
वृज्जि ८८ देखिये ' वज्जि भी व्यंजन- परिवर्तन ३७, ५४-६७ व्यवहार सत्य ३५० वस्कार (वर्पकार ) १२५ वप्प ३२५
वम्मित्र-सूत्त १८ १५१
वलाहक- कायिक १६८
वलय ( विर) २८७
वर्षा-वास ३२९,
こ
बसल सुत्त २१२
वसुबन्धु ३३४, ३५५, ८६४ वग्निम्मा-नियम ३३२
वरुण ८७८
जिपुत्र ८२३ देखिये ' वज्जिपुत्तकभी '
वृत्तरत्नाकर ६३८, ६४२ वृत्ति (मोग्गल्लान व्याकरण पर ) ६०८ वृत्तोदय टीका ६४१
वंश (वंस) शब्द का अर्थ और इतिहास से भेद ५४७-४८
वंश ग्रन्थ ४९५, ५०२, ५०६, ५३६, ५३७, ५४०, ५४१, ५४२, ५४४, ५४५, ५४६, ५४८, ५६७, ५६०, ५७, ५७३, ५७६
माहित्य ५०७-५८२
मत्थदीपनी (महावंस की टीका )
५८१ व्यंजनविपर्यय ६५-६६
वाचकोपदेस (व्याकरण) ६०७
वाचनामग्ग ११, २०
वाचस्पति ४६४
वाचस्पति मिश्र ५३९
वास्सिर महासामि ( वागीश्वर महा
स्वामी) ५०५ वाचित ५७९
वाचिम्सुर ५९४, ६०५
वास्सिर ( सिंहली भिक्षु, मात्ति के शिष्य ) ५३८, ५३०, ५४०. --की प्रधानरचनाएं ५३८-५४०, ५६८, ५६९ वाजिरी ४२६
वाडुआ - औरमित्र २२२, २२१
वात्मीपुत्रीय ४०३, ४०४, ४२६
वात्स्यायन ४६८ वार्तिककार ( कात्यायन ) ६०३ वाक्य-विचार २९
वानर जातक २८३ वानरिन्द जानक २८० वामक १८ २०१ वामदेव १४०, २५१
व्याकरण साहित्य ४८१.५३७.५४५,
५४६.५६६
व्याकरण सूत्र १२८

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