Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag
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( ६८६ )
५०१,- का भारतीय वाङ्मय में पियवन्ग २१५, २२४ स्थान ६४४-६४६,-और विश्व- पीति ४०८ साहित्य ६४६-६४७,का विव- पीटर ३२७ रण-७४-६४७
पीठवग्ग २४५ पालि माध्यम १११
पुच्छक ४०२ पालि ग्रन्थ २७५
पुग्गल ४८२ पालि महाव्याकरण (भिक्षु जगदीश । पुग्गल-
पत्ति ९१, १०७, ११५, काश्यप) ४, ६, ७, १६२७, १२८, ३४०, ३४१, ३४२, ३४३, ३४४, ६१०, ६१४
३४६, ३५२, ३५४, ३५६, पांच संयोजन ४१९
३५७,४१८-४२१, ६३९ पासादिका वणना ३१२
पुग्गलपत्ति की अट्ठकथा १, ५३८ पालि मुत्तक विनय संगह ५३८ पुग्गलपञत्तिपकरण-अट्ठकथा ५२९ पासादिक-सुत्त ९३, १४७, १७०
पुण्णक २४२ पासरासि-सुत्त १५१, १६० पु णकमाणवपुच्छा २४१, २४२ पांगुकूलवागे २५४
पुण्ण मन्तानिपुत्त ५२४ पिंगलमाणव-पुच्छा २८१
पुणोवाद-त्ति ९८, १५८ पिण्डपात पारिद्धि-सुत्त ९९, १५८ पुद्गल ३५५, ३५६, ३९८, ४१८ पिण्ड्यातिका ४११
पुनर्जन्मवाद ४६४ ४८४, ४८६ पितनिक ८८
पुनर्वसु १६८, ३२3 पिटक १२३, १३२, १८, १९९, पुप्फवग्ग २१५, २२१, २२३
पुष्पवती (पुष्फवती) २८७ पिटकत्तयल ग्वणा गन्ध (पिटकत्रय- पुम्भरसारि ६४० __ लक्षण ग्रन्थ) ५.१.
पुररवा-उर्वशी २९० पिटक-संप्रदाय १२३, १८६ पुरेजात-प्रत्यय ४६१ पिटक-माहित्य :०८, ३४०, ५१३, पुराण ८२, ५४७,
पुराण-इतिहास ५.७ २५१ पिटक-संकलन २०१
पुराण टीका ५८१ प्रिंडो-टोका ६४१
पुराणाचार्य (पोराणाचरिय) ४९७, प्रिंडो निस्सय ६४२ पिंडोल भारद्वाज १८३, ५२४ । पुरामेद २४१, ४९४ पियजातिक-सुत्त १८, १५५, १६० । पुरातत्व निबन्धावली (राहुल प्रियदर्शी (अशोक) ६१९, ६२४ सांकृ यायन) ४२२, ४२५, ४२६ पियदस्सी (व्याकरणकार मोग्ग- पुरुषत्व ४०६ ल्लान के गिप्य) ६०९
पुरुषसूक्त ५११ पिरित २११
पुलस्थिपुर ६१६ पियजालि ३३६
पलिबोधा ५२० पियदस्सि ३३६
पुलिन्द ८८ पियपाल ३३६
पृप्य ३१०

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