Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 709
________________ ( ६८८ ) प्राचीन सिंहली भाषा ४९६ . पौराणिक आख्यान १३० प्राग्बुद्धघोषकाल ३२३ ४९३, ४६६, पोट्ठपाद-सुत्त ९२, १२७ १२९, १३०, प्राण-ध्वनि ३६, ३७, ५६ १४१-१४२, १७२ प्राणध्वनि का आगमन ५६, ६३, पोतलिय-सुत्त ९५, १३०, १५३ ६४, ६७ और लोप ५६, ६३, ६७ पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियेन्ट प्रायश्चित्तिकं ११४ इन्डिया ( हेमचन्द्र रायचौधरी ) प्रायश्चित्तिक ३११ २९१, २९२, २९३, ४७१, ६०९, प्राणायाम १५७ ६१०, ६११, ६१३, ६१४ प्रणिपात ३५० पोलोन्नरुवा (लंका में) ६१५, ६१६ प्रीति १७०, ३८३, पोराण खुद्दकसिक्खा टीका ५३९ ३८७, ४०९, ४१०, ५३४, ५ः५ पोसालमाणवपुच्छा २४१ प्रियदर्शी ४, २८ पौष्करसाति १३८ प्रवचन ५ प्रमेनजित् १५६, १६२, १७७ १९४, १९५, २२८, २३० प्रश्न उपनिषद् २९१, १५६ फ-क्यू-किंङ् (धम्मपद का चीनी अनुप्रश्रब्धि १७० वाद) २२३ प्रद्योत (पज्जोत) १५७ फल-चित्त ३८३ पेगन में प्राप्त खंडित पाषाण लेख फ-शिन्यन २७७ ६३४, ६३८ फॉसबाल (वी.) २७३ पेटकालंकार ५४३ फासुकारि-सुत्त ९७, १५६ पेटकी ७५ १०४, ६३४, फाह्यान २०४ पेटकोपदेस १०८, १२७, १२८, १९९, फ्रांस २९६ ५६१ ४१४, ४६५, ४६६, ४७२, ५७७ फिक (डा.) २८९ फ्लीट (जे० एफ०) ५५४ ५८०, ६०२, ६०३ पेतवत्थ १०२, १०७, ११०, ११४, फ्रैंक (आर-ओ०) १२, १३, १४, १५. १९६, १९७, २००, २०१, २१०, ११९, १३२, १४८, ५५०, ६०७, २४५, २४६, ५३१, ५९६ पेतवत्थु अट्ठकथा सहिता ६४० पेतवत्युस्स विमलविलासिनी नाम __अट्ठकथा ५७८ वक जातक २८२ पैशाची प्राकृत १३, १५, २८, ३१,३२,- बंकाक ५०५, ६४४ ___ का पालि से संबंध ३४-३५, ५० बक्कुल-सुत्त ९८, १५.७ पोतन १४५, २८७ बॅगला २३५ पोतलि २८७ बंग-प्रदेश ५५१ पोराणा ४९९ बर्मी विहार (सारनाथ) २३५ पोराण अट्ठकथा बंबई विश्वविद्यालय (संस्करण) ४, पोराणाचरिय (पुराणाचार्य)५७७,६११ ९०, १३४, १४८, २०२, २१२,

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