Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 683
________________ ( ६६२ ) कम्मवाचा ३२६, ६४१ कस्सपिक भिक्षु ४२२, ४२३, ४२९, कम्मछानगहणनिद्देसो ५२० ४४८ कर्म-स्थान (समाधि के आलम्बन) कसि भारद्वाज (ब्राह्मण) २३९, २४० ५२०, ५२८ कसि भारद्वाज-सुत्त २३९ कामासदम्म (कस्बा) १९६ क्रिया-चित्त ३८४-३८५ क्यच्चा (वरमी राजा) ६०६,--की कर्म २२५, ३०६, ३४०, ३५८, ४४६, पुत्री ६१२ क्यच्वामरओ ५७९ कर्म-प्रत्यय ४६२ ऋकुच्छन्द १४३ कर्म-फल २४४ कर्न (डा०) ३०९ कर्म-विपाक ३७५, ३७७, ३९२, ४०८, करणीय-मेत्त-सुत्त २११ ४१०, ४३५, ४४२, ४६२ करुणा (भावना) १५४, ३८८, ३९१, कर्म-स्थान (कम्मट्ठान) ३७४, ३७८ ३९२, ४१०, ५२१, ५३५ कर्मान्तक १८८ कलहविवाद-सुत्त २४१ कंखा-टीका ६३९ कलकत्ता रिव्यू ४७३ कंखा-रेवत १८३ कलापनिस्सय ६४२ कंखा-वितरणी ५१३, ५२३, ५७७, कलापपञ्चिका ६४१ कल्याणी (पेगू-बरमा) ५८८ कंखावितरणी-अट्ठकथा ६३९ कल्याणी-अभिलेख ५३९, ६१७, ६३४, कंखावितरणी की टीका ५३९ ६४२-६४३ कंखावितरण-विसुद्धिनिद्देसो ५२२ कल्याणिय (भिक्षु) ५८८ कंस-बध २९४ कलापसुत्त प्रतिज्ञापक-टोका ६४१ कृदन्त ७० कलेला दमना २९५ कृष्ण १३९, २९४ कलिंग १३, १५, ४९४, ५७६ ६१८ कृशा गौतमी १८८ कलिंगवोधि-जातक २८७ काय १६५, १६८, १६९, ३४८, ४०२, कलिंग-लेख ६१८ ४०३, ४०४, ४०६, ४६० कलिंग-युद्ध ६१९, ६२० काय प्रागुण्यम ३८७, ५३५ कलिंगारण्य १५९ काय-आयतन ४०१, ४६१ कल्प (कप्प) ४३९ काय-कर्मजता (काय कम्ममता) कविकल्पद्रुम ६०७ ३८७.', ३५ कविसारपकरण ६१६ काय गतासति-सुत्त ९७, १०१, १५७ कविसार टीका-निस्सय ६१६ कायगता सति २१०, २३१, ५२१ कस्सप (काश्यप-~-मोह विच्छेदनी, कायगतासति भावना २२९ अनागतवंस और वुद्धवंस आदि के कायानुपश्यना १४६, ३५५ रचयिता) ५७८, ५८७ कनिष्क-कालीन ३५५ कस्सप-सुत्त २१० काय-प्रश्रब्धि (कायप्पस्सद्धि) ३८७,५३५ कस्सप-संयुत्त ९९, १६५ काय-मृदुता (कायमुदुता) ३८७ कस्सप-सीहनाद-सुत्त ९२, १४१ काया में कायानुपश्यी ४०७

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