Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 690
________________ चक्षु धातु ४१५ क्षु चक्षु - विज्ञान ४०० ( ६६९ ) १६५, ३४८, ३८१, ३८२, ३९८, ४००, ४०३, ४०४, ४४०, ४४४, ४५९, ४६२ चंकदास ६४१ चंकि १५९ चंकि सुत्त ९१, १२७, १३०, १५६ चण्डाशोक ६१९ चातुर्वर्णी शुद्धि ३३२ चाणक्य ( चणक्क) ५६२ चार अरूपावचर विपाक - चित्त चार आर्य सत्य १५१, १७२, १७३, २०८, ४०५. ४२०, ४२१, ४३३, ५३५ ३८३ चार आहार १८१ चार आ वासन १८७ चार आर्य श्रावक ४१८ चार आर्य-मार्ग ४३३ चार ऋद्धिपाद १७१, ४९० चार पाराजिक धम्मा ३१५ चार महाभूत ३४०, ४३५, ४४०, ४६३ चार मार्ग - फल ४३२ चान्द्र ६१३ चार प्रतिसंविद् ४११ चार योग १८१ चार वैशार १५० चार लोकोत्तर विपाक - चित्त ३८३ चाला ( भिक्षुणी) २६८ चार स्मृति - प्रस्थान १७०, ३०३, चार स्कन्ध ४१५, ४१६ चार सम्यक् प्रधान १८०, ४०० चार समाधि १८१ चातमा १५४ चातुम - सुत्त ९५, १५४ चातुर्याम संवर १५५ चार ज्ञान १८१ चार श्रामण्य फल १८ चुल्ल वग्ग १८९ चापा २६९, २७१ चार ध्यान १६९, ४०९, ४१० चार्ल्स डुरोयिसिल ५९२, ५९३, ५९४ चालिय पर्वत ५२५, ५२६ चार्ल्स इलियट ३३७ चाइल्डर्स (आर० मी०) १५, १६, ३५९ चित्त १७१, ३०६, ३५९, ३७४, ३८२, ३८५, ४१२, ४३४, ४३५, ४३८, ४५१, ४५९, ४६० ४६२, ४६३, ५०५, ५३३ चिन्तामयी प्रज्ञा ४११, ४६८ चित्त कर्मज्ञता ५३५ चित्त की शून्यता का योग १५७ चित्त प्रागुण्य ३८७ ५३५ चित्त-ऋजुता ३८७ ५३५ चित्रा ( भिक्षुणी) २६८ चित्तुप्पाद-कंड ३३, ३९३ चित्त गृहपति १८२, १८४ चित्त प्रश्रब्धि ३८७. ५३५ चित्त चित्तानुपश्यी होना १७०, ४०७ चित्त- मुदिता ३९० ५३५ चित्त-यमक ४५१ चित्तवग्ग २१५, २२१. २२३ चित्त विभेद ३८६ चित्त-लघुता ५३५ चित्तलतावग्ग २४५ चित्त संयोजन ४२९ चित्त-संयुत्त १००, १६ चित्त की चार भूमियाँ ३७४ चित्तानुपश्यना १४६ चित्त-संतति ४३८ चित्त-समाधि ४०८ चीन देश ३०८, ३३०, ३३६, ४९४, ४९९, ६४४

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