Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 696
________________ ( ६७५ ) थ २८९, २९६, ३००, ३०२, ३०८, ३२७, ३३४, ३३७, ३३९, ४५४, ४६६, ४७२, ४८७, ४९४, ५००, दवखखस-जातक २७५ ५०१, ५०२, ५०७, ५२९, ५४०, दक्खिणाविभंग-सुत्त ९८, १५८, ५०० ५४९, ५५२, ५६०, ५६३, ५६४, दंडकवन २८७ ५७६, ५७७, ५८३, ५८५, ६०१, दण्डकारण्य १५९, २९३ ६०२, ६११, ६२०, ६२८, ६३१, दंडि-टीका ६४२ ६३२, ६३३, ६३४, ६३५, ६३७, दण्डी ३१, ४९२ ६३८ देखिये 'पालि त्रिपिटक' की दंड-वग्ग २१५, २१७, २२३ त्रिपिटक-गत २७९ दन्तभूमि-सुत्त ९८, १५७ त्रियोजनसते कुरुरट्ठे २८६ दन्तवातु पकरणं ५७९ त्रिशरण-यज्ञ १४० दन्तधातुवंस ५७५ त्रिष्टुभ २३६ दन्त्य ( पर्श) ३५, ३६, ५५, ५६, ५७, विद्य ब्राह्मण १४३ दमिल ५५२, ५७३, ५७४ दब्दपुप्फ जातक ६३५ थन्-व्यन्-टीका ६४० दब्ब मल्लपुत्त १८३, २२६, २३१ थपति-सुत्त १७५, ६२४ दब्र (द्रव्य) गुण ६४१ यामस (ई० जे०) ८, २६ दव-(द्रव्य) गुण-टीका ६४२ थॉमस (एफ० डबल्यू) २८५ द्रव्य-यज्ञ १४० थल्लकोठित १५५, १५९ थून २८६ दृष्टि ३५५, ५३५ यूपवंस ५४०, ५४८, ५६९-५७४, दृष्टि.आसव ४४१ ५७५, ५७६, ५८१, ६४० दृष्टि-ओघ ३६६ यूपाराम ५६३, ६०८, ६१६ दृष्टिगत-युक्त ३८० थेर-अपदान २९८ दृष्टिगत-विप्रयुक्त ३८० थेरगाथा १०२, १०६, १०७, ??४, दृष्टि-जाल १३५ ११७, १७९, २३९, २४६-२६४, दृष्टि-योग ३६७ ५३१, ६४०, द्वनिमाकारं २०० येरगाथा-अट्ठकथा ५७८ दर्शन-दिग्दर्शन (राहुल सांकृत्यायन) थेरवाद (स्थविरवाद) ४२२ देखिये १४२, ४२७, ४८४ थविरवाद' भी दश-संज्ञा-मूत्र २१२ येरवादी ४२०, ४२३ दस अव्याकृत १७० येरी-अपदान ००६, २९८ दस-आयतन ४०२, ८०४, ४१७ येरीगाथा १०६, १०, ११४, १७९, दस-एकादस-निपात-अंगुत्तर ६३९ १९६, १९७, २००, २४६-२७२, दस-एकादस-निपातजातकट्ठकथा ६४० थेरगाथा के साथ तुलना २४७, दसक निपात १८२ २६९-२७२; ३४९, ५३१, ६४० दस गण्डिवण्णना ५८०

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