Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 687
________________ खुद्दक-निकाय १९६-३०१, के खन्धक ११४, ३२२, ३२४-३२६. स्वरूप की अनिश्चितता १९६, खन्ध-कथा ५०५ -सुत्त-पिटक के अंग के रूप में खण्डगिरि १३, १५ १९६-१९७, अभिधम्मपिटक के खण्डहाल-जातक २९९ अन्तर्गत भी १९७-१९८,-के खन्ध-निद्देसो ५२७ अन्तर्गत अभिधम्म -पिटक भी खन्धक-पुच्छा ५०४ १९८-१९९, इसका अभिप्राय खन्ध-विभंग ३९७, ३९८-४०१ १९९,--की ग्रन्थ संख्या के खन्ध-वग्ग १६६-१६७ विषय में सिंहल, बरमा और सिआम खन्ध-संयुत्त १६६, १७६, ३४८ में विभिन्न मंत १९९-२००,- भान्ति (खन्ति) २९९ के ग्रन्थोंका काल-क्रम २००- क्षुद्रकागम (खुद्दकागम) ११४, २८ २०७;--२, ११३, ११४, ११७, १३१, १७९, ३४३, ३५५, ४९५, ५१३, ५२६, ५३१ गणपाठ ६०८ खुद्दक-ग्रन्थ १९७ गण-तन्त्र १९५ खुद्दकपाठ (सटीक) ६३०. गणतन्त्र-प्रणाली १०५ खुद्दक-पाठ ११४, १७९, १९६, २०७, गया १५०, ५०७, ६१८, ६२१ २१४, ४३४, ५१३, ५२६ गयासीस (पर्वत) २८६ खुद्दकपाठट्ठकथा ५७७ गरहित जातक २८४ खुद्दकसिक्खा ५३२, ५३९, ६१६ गणकमोग्गल्लान-सुत्त १५६, १५७ खुद्दसिक्खं (धर्मश्री-विरचित) ५७८ गृध्रकूट (पर्वत) १२६, १६३, १९५ - खुद्दसिक्खं (अनुरुद्ध-विरचित) ५७८ २६० देखिये 'गि भकूट' भी खुद्दकसिक्खा-टीका (पोराण) ६३९,- गृह यसूत्र १२४ --अभिनव ६३९, स्थविर संघ- गृहस्थ-धर्म १८७ रक्खित-कृत ५३८-५३९,- गाइड थ्र दि अभिधम्म पिटक (ज्ञाना -महायास-कृत ५३९,-वाचि- तिलोक) ३४१, ३४५, ३५१, स्सर-कृत ५४० ३५६, ५७, ४२२, ४२६,४४३, ४४९ खुद्दकवत्थुविभंग ३९७, ४११ गाथा २७७, ४२०, ४२१ खुरप्प-जातक २८९ गामणि ५५२, ५५८ खेत्तुपमापेतवत्थु २४६ गामणि-संयुत्त १६९ खेम (अट्ठकथाकार) ५३२, ५७८ गायगर (डा०, विल्हेल्म) २, १२, खमं (ग्रन्थ) ५७८ १५, १६, १७, १८, १९, २०, खेमप्पकरण ५३२, ५३९ २१, २३, २४, २५, २६, ४२, खेमप्पकरणस्स टीका ५७९ ४७, ५४, १२१, १३२, १६०, खेमप्पकरण-टीका ५३९, ६०५ १६१, २७३, ३४१, ३४५, ४७१, खेमा (मा, भिक्षुणी) १७०, १८४ । ४७७, ४७८, ४९५, ४९६, ४९८, खोतान २२१ ५२७, ५५०, ५५१, ५५३, ५५४, खन्ध-आयतन-धातु-कथा ४१२ ५६४, ५६९, ५७५, ५८७, ५८८.

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