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( २९८ ) पटिसम्मिदामग्ग
इस ग्रन्थ का विषय अर्हत् के प्रतिसंवित् सम्बन्धी ज्ञान का विवेचन है। सम्पूर्ण ग्रन्थ में तीन मुख्य भाग हैं, जिनमें से प्रत्येक में १० परिच्छेद है। इस ग्रन्थ का सम्बन्ध शैली और विषय दोनों की दृष्टि से अभिधम्म पिटक से अधिक है। इसका कुछ विवरण हम आगे अभिधम्म पिटक का विवेचन करते समय करेंगे। अपदान
अपदान (सं० अवदान) खुद्दक-निकाय के उत्तरकालीन ग्रन्थों में मे है। इसमें बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के पूर्व जन्मों के महान् कृत्यों का वर्णन है। जातक के ममान इसकी भी कहानी के दो भाग होते हैं, एक अतीत जन्म-सम्बन्धी और दूसरा वर्तमान (प्रत्युत्पन्न) जीवन-सम्बन्धी। अपदान दो भागों में विभक्त है, थेर-अपदान और थेरी-अपदान । थेर-अपदान में ५५ वर्ग है और प्रत्येक वर्ग में १० अपदान है। थेरी-अपदान में ४ वर्ग है, जिनमें भी प्रत्येक में १० अपदान हैं। साहित्य या इतिहास की दृष्टि से इस ग्रन्थ का कोई विशेष महत्व नहीं है। हाँ, इसी ग्रन्थ पर संस्कृत वौद्ध साहित्य का अवदान-साहित्य अधिकांशतः आधारित है, यह इसका एक महत्त्व अवश्य कहा जा सकता है। 'अपदान' में चीनी लोगों के व्यापारार्थ उत्तरी पंजाब में आने का उल्लेख है।
बुद्धवंस
बुद्धवंस २८ परिच्छेदों का एक पद्यात्मक ग्रन्थ है, जिसमें गौतम बुद्ध और उनके पूर्ववर्ती २४ अन्य बुद्धों की जीवनियों का विवरण है । गौतम बुद्ध के जीवनी मम्बन्धी अंग को छोड़ कर शेष तो प्राय: पौराणिक ढंग का ही है, अतः उसका महत्त्व भी केवल उमी दिशा में ममझना चाहिए। चरियापिटकर
चग्यिापिटक में भगवान् बुद्ध के पूर्व जन्मों की चर्याओं का वर्णन है, जिसमें
१. २. इनके देवनागरी संस्करण भिक्षु उत्तम द्वारा प्रकाशित किए जा चुके हैं,
जिन्हें महापंडित राहुल सांकृत्यायन, भदन्त आनन्द कौसल्यायन तथा भिक्ष जगदीश काश्यप ने सम्पादित किया है। चरियापिटक' का देवनागरी लिपि में सम्पादन डा० विमलाचरण लाहा ने भी किया है, जिसे मोतीलाल बनारसीदास, लाहोर, ने प्रकाशित किया था।