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४. मुनि गाथा १. मुनि-सुन (मुत्त-निपात)-डा० रायस डेविड्स'
५. मोनेय्य-सूते ( मोनेय्य-सूत्र) १. नालक-सुन (मुत्त-निपात)-आचार्य धर्मानन्द कोसम्बी२
२. प्रस्तावना को छोड़कर नालक-सुत्त का शेप भाग-डा० वेणीमाधव बाडुआ3
३. मोनेय्य-सुत्त--डा० रायस डेविड्स
४. 'इतिवृत्तक' के ६७ वे सुत्त एवं अंगुत्तर-निकाय के तिक-निपात में निर्दिष्ट मोनेय्यानि--डा. विंटरनित्ज़
६. उपतिस-पसने (उपतिष्य-प्रश्न) १. सारिपुत्त-सुन (सुत्त-निपात)-कोसम्बी और वाडुवा"
२. मज्झिम-निकाय के रथविनीत मुन (१।३।४) में निर्दिष्ट उपतिप्य प्रश्न-न्यूमैन'
१. उपर्युक्त के समान २. इंडियन एंटिम्बेरी, ४१, ४० ३. जर्नल ऑव रायल एशियाटिक सोसायटी, १९१५, पृष्ठ ८०५ ४. उपर्युक्त पद-संकेत १ के समान । ५. हिस्ट्री ऑव इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६०७ (परिशिष्ट ३) ६. उपतिष्य सारिपुत्र का नाम है। चूंकि सुत्त-निपात के सारिपुत्त-सुत्त में सारि
पुत्र में कुछ प्रश्न किए हैं जिनका उत्तर बुद्ध ने दिया है, अतः यह प्रायः सुनिश्चित __ ही है कि अशोक का तात्पर्य इसी उपदेश से था। ७. इन विद्वानों के लेखों का निर्देश ऊपर हो चुका है। जा० विटरनित्त को भी
यही मत मान्य है । देखिये उनका हिस्ट्री आँव इंडियन लिटरेचर, जिल्द
दूसरी पृष्ठ ६०७ (परिशिष्ट ३) ८. विंटरनित्ज : हिस्ट्री ऑव इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६०६ में
उद्धृत ।