Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 680
________________ ( ६५६ ) उत्तरविनिच्छय ४९९, ५०४, ५०५ ५४०, ५७७, उत्तरविनिच्छय-टीका ५४० उत्तर विहार ४९९, ५०४ उत्तर ( स्थविर ) ५५७, ५६८, ५७२ उत्तरा १६४ उत्तरा नन्दमाता ९८४ उत्तरापथ २९१ उत्तरापथ २९१ उत्तरापथक (बौद्ध सम्प्रदाय) ४२६ ४३२, ४३३, ४३४, ४३५, ४३६ ४३८, ४३९, ४४०, ४४२, ४४५ उत्तिय ८९, ३१०, ३३६, ५५७, ५६८ ५७२ उद जातक ६३५ उद्गत ( उग्गत) गृहपति १८४ उदयन ( उदेन ) १७७, २३१, ४६४ ५०७, ५२७ उदय- माणव - पुच्छा २४१ उदान ७५, १०१, १०३, १०६, १०७ ११४, १९६, १९७, २१०, २२५२३१, २३३, २३४, ४२०, ४५४ ५३१ उदान (साट्ठकथं ) ६३९ उदानं ११४ उदानट्ठकथा ५७७ उदा- सुत्त १७३ उदायी १५४, १७३. १७४ उदुम्बर (आचार्य) ५८० उदुम्बरिक-सीहनाद-सुत्त १२, १४७ उद्दालक- जातक २९१ उदेस-वार ४५१ उद्देस - विभंग-सुत्त ९८, १५८ उद्धच्चं (उद्धतता) ३८१, ३८८, ३९२ उपक ( आजीवक ) ३२५ उपक्कि सुत्त ९८, १५७ उपध्मानीय ३६ पतिसपसने ( उपतिष्य - प्रश्न ) २३५ ६२७, ६२८, ६३० उपतिष्य ३१० उपतिष्य ( सिंहली भिक्षु, महाबोधिवंस के सिंहली संस्करण के सम्पादक ) ५६८, ५६९ उपतिस्साचरिय (अनागतवंस की अट्ठकथा के लेखक ) ५८०, ५८७ उपनिःश्रय ४५८ उपनि अय-प्रत्यय ४५७ उपनिषद् १३०, १३१, १४२, १७६ २२०, २२९, २९१, २९३, ४४३ ४६३, ४६४, ४९३, ४९४ उपरिपणास ६३९ उपरिपण्णास - अट्ठकथा ६३९ उपपिण्णास-टीका ६३९ उपवसथ ३२३ उपशम (अनुस्मृति ) ५२१ उपसम्पदा ४८७ उपसम्पदा - नियम ३०९ उपसम्पदा -ज्ञप्ति ३१३ उपसीवमाणवपुच्छा २४१ उपसेन ५३२, ५७८ उपसेन वंगन्तपुत्त १८३ उपादान १६५, ३४८, ३९३, ४०७, ४५५ उपादान स्कन्ध १५१ उपालि ७७, १८४,३१०, ५२५,५२६, ५५०, ५६२ उपालि-सुत्त १५३,१५९, १६० उप्पाद निरोध-वार ४५१ उप्पाद-वार ४५१ उप्पाद - संयुक्त्त १००, १६७ उपेक्षा १७०, २९९, ३४९, ३७२, ३७७, ३७८, ३८०, ३८१, ३८२, ३८४, ३८५, ४०३, ४०८, ४१०, उपेक्षा-धातु ४०३ उपक्षा- भावना १५४ उपेक्षेन्द्रिय ४००

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