Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 673
________________ ( ६५२ ) अभिधा अपगर्भ १९४ ३५२, ३७४, ३९०, ४०५, ४०८, अपण्णक जातक २८१ ४१८, ४५०, ४५३, ४६४, ४७०, अपण्णक-सुत्त ९५, १५३, १५९ ४७९, ४८१, ४४३, ५४५ अपर्णक १५३ अभिधम्म-अनुटीका ६३९ अर्पणा समाधि ५२० अभिधर्म-कोश ३३४, ३५७, ४२२, अपदान १०२, १०७, ११४, १९७, ४२३, ५६३ अप१९८, २००, २९८, ५९९, ६४० । दानट्ठकथा (अपदान-अट्ठकथा) अभिधम्मत्थ संगह १०९, ११०, ३५०, ५७७, ६४० ३८४, ४५८, ५३२, के सिद्धांतों अप्पमञविभंग ४१० का संक्षिप्त विश्लेषण ५३३-५३६ अप्पमत्तक वग्ग ६२४ अभिधम्मत्थसंगह--अट्ठकथा ६३९ अप्पमाद-वग्ग २१४, २२३ अभिधम्मत्थसंगह-टीका ६३९ अपभ्रंश १२, ३०, ३२, ७२ अभिधम्मत्थसंगह की टीका (धर्मानन्द अप्रमाणा चेतोविमुक्ति १५७ कोसंबी कृत) ५४२ अपरशैलीय ४२६, ४३०, ४३९, अभिधम्मत्थसंगह की टीका (लेदि सदा४४१, ४४७, ४४८ वकृत) ५४४ अपरान्त (अपरान्तक भी) ५५७, अभिधम्मत्थसंगह की टीका (सुमंगल५७२, ५७४, ५८२ कृत) ५४० अपरान्त-कल्पित १३५ अभिधम्मत्थसंगह-संखेप टीका (छपद अपरान्तक-प्रदेश ८८ __-कृत) ५४० अपरिमाण ३८८, ३९३, ४१२ अभिधम्मत्थगण्ठिपद ५४३ अफगानिस्तान ६४४ अभिधम्मत्थविकासनी ५४०, ५७९ अफलातूं १३१, ४५४, ४७३, ४९३ अभिधम्मत्थविभावनी ५४०, ५७९ अन्भुतधम्म १०२, १०३ अभिधम्मत्थविभावनी की टीका अभय ३१० ५४२, ६३९ अभय (सइत्थ भेदचिन्ता की टीका के अभिधम्मत्थ संगहपकरणं ५७८ रचयिता) ५८० अभिधम्मपण्णरसट्ठानं ५८० अभयमाता (भिक्षुणी) २६९ अभिधम्म-पिटक ८७, ८८, ९१, अभय गिरि विहार ५६३ १०७, ११५, ११७, १७९, १९७, अभयराजकुमार-सुत्त ९५, १५३, १९८, १९९, २३२, २९८, ३२७, ३३०, ३३४-४६४,--का रचनाअभ्यास ४६८ काल ३३६-३४६,-का विषयअभिज्ञा निद्देसो ५२१ ३४६-३४९-की शैली ३४९ अभिण्ह जातक २७४ -३५१, का महत्व ३५१-३५३, अभिधम्म (अभिधर्म) २, ८५, १०९, की सर्वास्तिवाद संप्रदाय ११३, १९९, ३०८, ३२६, ३३५, के अभिधर्म-पिटक से तुलना ३३६, ३३८, ३३९, ३४०, ३४३, ३५३-३५८,--के ग्रन्थों की विषय ३४४, ३४७, ३४९, ३५०, ३५१, वस्तु का संक्षिप्त विश्लेपण ३५८

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