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बुद्ध की सामुक्कंसिका धम्मदेसना' (ऊँचा उठानेवाला धर्मोपदेश ) जिसका उपदेश वाराणसी में दिया गया ( अर्थात् धम्मचक्कपवत्तन-सुत्त) - ए० जे० एडमंड्स'
३. सप्पुरिस-सुत्त ( मज्झिम ३।२।३) या अंगुत्तर निकाय का विनयसंबंधी उपदेश (अत्थवसवग्ग ) - प्रो० मित्र
४. 'गिहि-विनय' (गृह - विनय ) नाम से प्रसिद्ध सिंगालोवाद- सुत्त ( दीघ ३८) तथा ' भिक्खु - विनय' ( भिक्षु - विनय ) के नाम से प्रसिद्ध अनुमान -सुत्त ( मज्झिम) - | डा० वेणीमाधव वाडुआ ।
५. तुवट्ठक - सुत्त (सुत्तनिपात ) - प्रो० भंडारकर
२. अलियवसानि (आर्यवंश )
१. अंगुत्तरनिकाय के चतुक्क निपात में निर्दिष्ट चार आर्य वंश - आचार्य धर्मानन्द कोसम्बी *
२. अंगुत्तर निकाय के दसक - निपात अथवा परियाय सुत्त और दसुत्तर- सुत्त में निर्दिष्ट दस डेविड्स"
दीघनिकाय के संगीति
आर्य - वास-- डा० रायस
३. अनागत- भयानि
१. अंगुत्तर निकाय के पंचक निपात में निर्दिष्ट पांच अनागत-भय- डा० रायस डेविड्स
१. जर्नल ऑव रायल एशियाटिक सोसायटी, १९१३, पृष्ठ ३८५
२. लाहा : हिस्ट्री ऑव पालि लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६६५ में उद्धृत ।
३. जर्नल ऑव रायल एशियाटिक सोसायटी, १९१५, पृष्ठ ८०५
४. इंडियन ऐंटिक्वेरी ४१, ४०
५. ऊपर उद्धृत पद-संकेत १ के समान ।
६. जर्नल ऑव रॉयल एशियाटिक सोसायटी १९९८ ।