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( ४०३ ) यही कहा जा सकता है कि वे सुख की वेदना से मुक्त है, न यह कि वे दुःख की वेदना से युक्त हैं और न यही कि वे न सुख-दुःख की वेदना से युक्त हैं। मन-आयतन सुख की वेदना से युक्त भी हो सकता है, दुःख की वेदना से यक्त भी और न-सुख-न-दुख की वेदना से युक्त भी। इसी प्रकार धर्म आयतन सुख की वेदना से भी युक्त हो सकता है, दुःख को वेदना से भी और न-सुख-न-दुःख की वेदना से भी। उसके विषय में निश्चयपूर्वक यह नहीं कहा जा सकता कि वह सुख की वेदना से ही युक्त है, या दुःख की वेदना से ही, आदि ।
३-धातु-विभंग
(१८ धातुओं का विवरण) सनन्त-भाजनिय में छह-छह के तीन वर्गीकरणों में १८ धातुओं का विवरण इस प्रकार किया गया है--
(अ) पृथ्वी-धातु, जल-धातु, तेज-धातु, वायु-धातु, आकाश-धातु, विज्ञानधातु
(आ) मुग्व-धातु, दुःख-धातु, सौमनस्य-धातु, दौर्मनस्य-धातु, उपेक्षा-धातु. अविद्या-धातु
(इ) काम-धातु, व्यापाद-धातु, विहिंसा-धातु, निष्कामता-धातु, अव्यापादधातु, अ-विहिंमा धातु । ___ अभिधम्म-भाजनिय में १८ धातुओं की गणना दूसरे प्रकार से की गई है, जो इस प्रकार है--
१. चक्षु २. रूप ३. चक्ष-विज्ञान ४. श्रोत्र ५. शब्द ६. श्रोत्र-विज्ञान
७. घ्राण ८. गन्ध ९. घ्राण-विज्ञान १०. जिह्वा ११. रस १२. जिह्वा-विज्ञान
१३. काय १४. स्पृष्टव्य १५. काय-विज्ञान १६. मन १७. धर्म १८. मनोविज्ञान