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का जन्म तामिल-प्रदेश में काञ्चीपुर में हुआ था। इनकी भी शिक्षा सिंहल के महाविहार में हुई थी। आचार्य धम्मपाल की रचनाएँ ये है--
१. परमत्थदीपनी खुद्दक-निकाय के उन ग्रन्थों की अट्ठकथा है जिन पर वुद्धघोष ने अट्ठकथा नहीं लिखी । इस प्रकार धम्मपाल की इस अट्ठकथा के अन्तर्गत उदान, इतिवृत्तक, विमानवत्थु, पेतवत्थु, थेरगाथा, थेरोगाथा एवं चरिया पिटककी अट्ठकथाएँ सम्मिलित है । इनमें विशेषतः थेर-थेरी गाथाओंकी अट्ठकथाएँ ऐतिहासिक दष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ लेखक ने भगवान् वुद्ध के शिष्य भिक्षु-भिक्षुणियों की जीवनियों को अनुविद्ध किया है ।।
२. नेतिपकरण-अट्ठकथा या नेत्तिपकरणस्स अत्थसंवण्णना (नेत्ति पकरण की अट्ठकथा )
३. नेतित्थ कथाय टीका या लीनत्थवण्णना (उपर्युक्त नेत्तिपकरण-अठकथा की टीका)
४. परमत्थमञ्जूसा या महाटीका--विसुद्धिमग्ग की अट्ठकथा ।
५. लीनत्थपकासिनी--प्रथम चार निकायों की बुद्धघोष-कृत अट्ठकथाओं की टीका ।
६. जातकट्ठकथा की टीका (जिसका भी नाम लीनत्थ पकासिनी है) ७. बुद्धदत्त-कृत मधुरत्थविलासिनी की टीका ।
धम्मपाल-कृत उपयुक्त ग्रन्थों में सब से अधिक प्रसिद्ध परमत्थदीपनी है। शेष में से कुछ प्राप्त भी नहीं हैं। कुछ ऐसी भी है जिनके विषय में यह निश्चय नहीं किया जा सकता कि ये किस धम्मपाल की है, क्योंकि इस नाम के कई भिक्ष कई शताब्दियों में हो चुके है। बुद्धदत्त, बुद्धघोष और धम्मपाल की उपर्युक्त प्राय: मभी अट्ठकथाओं के रोमन, बरमी, सिंहली और स्यामो संस्करण मिलते है। विशेषतः हैवावितरणनिधि की ओर से प्रकाशित सिंहली संस्करण उल्लेखनीय है । नागरी लिपि में अभी कोई संस्करण नहीं हुए, अनुवादों की तो कोई वात ही नहीं ! बुद्धघोष-युग के अन्य पालि अटकथाकार
बुद्धदन, बुद्धघोष और धम्मपाल के अलावा इस युग के अन्यपालिअट्ठकथाकारों १. प्रस्तुत लेखक ने अपने थेरीगाथा-अनुवाद जो सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली, द्वारा प्रकाशित हुआ है, परमत्यदीपनी के आधार पर भिक्षुणियों की जीवनियों को ग्रथित किया है।