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( ५८५ ) होने वाले भगवान् बुद्ध मैत्रेय के जीवन-इतिहास (वंस) के रूप में लिखा गया है । 'अनागत वंस' का वास्तविक स्वरूप अभी बहुत कुछ अनिश्चित है । बरमी हस्तलिखित प्रतियों में उसके तीन रूप मिलते है, (१) गद्य-पद्य-मिश्रित रूप जो सुत्तों की शैली में लिखा गया है। इसका विषय बुद्ध मैत्रेय की जीवन-गाथा का वर्णन करना नहीं है । बल्कि यह भविष्य में संघ पर आने वाले भयों का वर्णन करता है । बुद्ध और सारिपुत्र के संवाद के रूप में यह ग्रन्थ लिखा गया है। साथ ही इसके अन्त में उन दस भावी बुद्धों के नाम भी दिये हुए हैं, जो भविष्य में क्रमशः बोधि प्राप्त करेंगे।' डा. विमलाचरण लाहा का यह कहना कि 'अनागतवंस' का यह संस्करण पालि-त्रिपिटक के अनागत-भय सूत्रों और उन सूत्रों, जिनमें दस भावी बुद्धों का निर्देश हुआ है, के पूरक रूप में लिखा गया है,२ ठीक मालूम पड़ता है। (२) गद्य-मय रूप, जिसमें दस अध्याय हैं और जिसका विषय दस भावी वुद्धों की जीवनी का वर्णन करना है। (३) पद्य-मय रूप, जो १४२ गाथाओं में केवल बुद्ध मैत्रेय की जीवन-गाथा का वर्णन करता है । यह संस्करण भी भगवान् बुद्ध और उनके शिष्य धर्मसेनापति सारिपुत्र के संवाद के रूप में लिखा गया है । भगवान् बुद्ध भावी बुद्ध मैत्रेय के विषय में भविष्यवाणी करते दिखाये गये हैं। 'अनागतवंस' का यह संस्करण ही उसका प्रामाणिक और वास्तविक रूप माना जाता है । अपने इस रूप में 'अनागत वंस' 'बुद्धवंस' का परिवर्तित और पूरक रूप माना जा सकता है। 'बुद्धवंस' पूर्व के चौवीस बुद्धों का वर्णन करता है । पच्चीसवें बुद्ध अर्थात् गोतम बुद्ध की जीवन-गाथा के साथ ही वहाँ वर्णन समाप्त कर दिया गया है। अतः स्वाभाविक रूप से 'अनागतवंस' जो छब्बीसवें बुद्ध, युद्ध मैत्रेय, की जीवन-गाथा को अपना विषय बनाता है, 'बुद्धवंस' की कथावस्तु
१. मेत्तेय्यो उत्तमो रामो पसेनदि कोसलोभिभू। दोघसोणि च संकच्चो सुभो तोदेय्य ब्राह्मणो॥ नालागिरिपललेग्यो बोधिसत्ता इमे दस । अनुक्कमेण सम्बोधि पापुणिस्सन्तिनागतेति ॥
जर्नल ऑव पालि टैक्स्ट सोसायटी , १८८६, पृष्ठ ३७ २. हिस्ट्री ऑव पालि लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६१२