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को पूर्णता देने की दृष्टि से ही लिखा गया जान पड़ता है । दोनों की शैली में भी पर्याप्त समानता है । दीघ - निकाय के चक्कवत्ति सीहनाद- सुत्त ( ३३ ) में भी बुद्ध मैत्रेय के भावी आविर्भाव के विषयमें उल्लेख किया गया है । वहाँ कहा गया है कि जब भगवान् बुद्ध मैत्रेय उत्पन्न होंगे तो मनुष्य ८०,००० वर्ष की आयु में तरुण हुआ करेंगे और कुमारियाँ ५०० वर्ष की आयु में विवाह-योग्य हुआ करेंगी । 'अनागतवंस' के भी वर्णनों की यही बानगी समझी जा सकती है । वुद्ध मैत्रेय जम्बुद्वीप ( भारतवर्ष ) में केतुमती नामक नगरी में ब्राह्मण-वंश में उत्पन्न होंगे । उनकी माता का नाम ब्रह्मवती और पिता का नाम सुब्रह्मा होगा । उनका आरम्भ का नाम अजित होगा । वे बड़े समृद्धशाली होंगे । ८००० वर्ष तक गृहस्थ-सुख का उपभोग करेंगे। उसके बाद प्रव्रज्या लेंगे । बुद्ध के ऐतिहासिक जीवन-वृत्त के आधार पर ही ये अतिशयोक्तिमय वर्णन गढ़ लिये गये हैं, जिनमें काव्यत्व या विचार की अपेक्षा हम बौद्ध पौराणिकवाद के ही अधिक दर्शन करते हैं ।
'अनागतवंस' की रचना कब और किसके द्वारा हुई, इसके विषय में निश्चित नहीं है । रायसविड्स ने इस ग्रन्थ को बहुत प्राचीन माना है - यहाँ तक कि बुद्धघोष से भी प्राचीन । इसका कारण उन्होंने यह दिया है कि 'विसुद्धिमग्ग' में बुद्धघोष ने बुद्ध मैत्रेय का वर्णन करते हुए उनके माता-पिता के विषय में कहा है "सुब्रह्मा नामस्स ब्राह्मणो पिता भविस्सति, ब्रह्मवती नाम ब्राह्मणी माताति" । २ 'अनागतवंस' में भी बिलकुल इन्हीं शब्दों में बुद्ध मैत्रेय के माता-पिता का वर्णन मिलता है | अतः रायस डेविड्स ने बुद्धघोष के शब्दों को 'अनागतवंस' से उद्धरण मानकर 'अनागतवंस' को प्राक् - बुद्धघोषकालीन ठहराया है । विन्टर
१. कुछ उद्धरणों के लिए देखिये लाहा हिस्ट्री ऑव पालि लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६१३
२. विसुद्धिमग्ग १३।१२७ ( धर्मानन्द कोसम्बी का संस्करण), देखिये अट्ठसालिनी पृष्ठ ४१५ ( पालि टैक्स्ट सोसायटी का संस्करण ।
३. पृष्ठ ९६ ( जर्नल ऑव पालि टैक्स्ट सोसायटी, १८८६, में प्रकाशित संस्करण) ४. विसुद्धिमग्ग, पृष्ठ ७६१, ७६४ ( रायस डेविड्स का संस्करण )