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( ४१३ ) १. सम्मिलन और अ-सम्मिलन (संगहो असंगहो) : इस अध्याय में यह दिख
लाया गया है कि कितने स्कन्ध, आयतन और धातुओं में कौन-कौन मे धर्म
सम्मिलित हैं या अ-सम्मिलित हैं। २. मम्मिलित और अ-सम्मिलित (संगहितेन अमंगहितं) : यहाँ यह दिख
लाया गया है कि कितने स्कन्ध, आयतन और धातुओं में वे धर्म असम्मिलित हैं, जो कुछ अन्य धर्म या धर्मों के साथ समान स्कन्ध में सम्मिलित है. किन्तु
समान धातु और आयतन में सम्मिलित नही हैं। ३. अ-सम्मिलित और सम्मिलित (असंगहितेन संगहितं) : कितने स्कन्ध,
आयतन और धातुओं में वे धर्म सम्मिलित है, जो कुछ अन्य धर्म या धर्मा के साथ समान स्कन्ध में सम्मिलित नहीं है, किन्तु समान आयतन और नमान
धातु में सम्मिलित हैं। ४. सम्मिलित और सम्मिलित (संगहितेन संगहितं) : कितने स्कन्ध आयतन
और धातुओं में वे धर्म सम्मिलित हैं, जो कुछ अन्य धर्म या धर्मों के साथ उन समान स्कन्ध, आयतन और धातुओं में सम्मिलित है जो पुन: अन्य
धर्म या धर्मों के साथ उनमें (स्कन्ध आयतन और धातुओं में) सम्मिलित है । ५. अ-सम्मिलित और अ-सम्मिलित (असंगहितेन असंगहितं) : कितने स्कन्ध
आयतन और धातुओं में वे धर्म अ-सम्मिलित हैं जो कुछ अन्य धर्म या धर्मों या धर्मों के साथ उन्हीं स्कन्ध आयतन और धातुओं में असम्मिलित है जो पुनः अन्य धर्म या धर्मों के साथ उनमें (स्कन्ध, आयतन और धातुओं में)
असम्मिलित है । यह अध्याय चौथे अध्याय का ठीक विपरीत है। ६. संयोग और वियोग (सम्पयोगो विप्पयोगो) : कितने स्कन्ध, आयतन __ और धातुओं के साथ धर्म संयुक्त हैं, या कितने के साथ वे वियुक्त है। ७. संयुक्त से वियुक्त (सम्पयुत्तेन विप्पयुत्तं) : कितने स्कन्ध, आयतन और
धातुओं से वे धर्म वियुक्त है, जो उन धर्मो से, जो अन्य धर्मों के साथ संयुक्त
है, वियुक्त हैं। ८. वियुक्त से संयुक्त (विप्पयुत्तेन सम्पयुत्तं) : कितने स्कन्ध, आयतन और
धातुओं से वे धर्म संयुक्त है, जो उन धर्मो से, जो कुछ अन्य धर्मों से त्रियुक्त है, संयुक्त हैं।