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( ४७३ ) मानते हुए उद्धृत किया है, ' यह उसकी महत्ता का सर्वोत्तम सूचक है। साहित्य और दर्शन दोनों दृष्टियों से 'मिलिन्द पह' स्थविरवाद वौद्ध धर्म का एक बड़ा गौरव है। पाश्चात्य विद्वान् तक उसके इस गौरव पर इतने अधिक मुग्ध हुए हैं कि उन्हें इस में ग्रीक प्रभाव और विशेषत: अफलातं के संवादों की गन्ध आने लगी है ! 'मिलिन्द पञ्ह' (मिलिन्द प्रश्न) जैसा उसके नाम से स्पष्ट है 'मिलिन्द' के 'प्रश्नों के विवरण के रूप में लिखा गया है । 'मिलिन्द' शब्द ग्रीक 'मेनान्डर' नाम का भारतीयकरण है । मेनान्डर के प्रश्नों का विवरण मात्र इस ग्रन्थ में नहीं है। मेनान्डर के प्रश्नों का समाधान इस ग्रन्थ का मुख्य विषय है । यह समाधान भदन्त नागसेन नामक बौद्ध भिक्षु ने किया। अतः मेनान्डर और भदन्त नागसेन के संवाद के रूप में यह ग्रन्थ लिखा गया है । मेनान्डर या मिलिन्द और भदन्त नागसेन का यह संवाद ऐतिहासिक तथ्य था, इसके लिए प्रभूत इतिहास-सम्बन्धी सामग्री उपलब्ध है । 'मिलिन्द पञ्ह' में ही मिलिन्द को यवनक (ग्रीस)-प्रदेश का राजा कहा गया है ('योनकानं राजा मिलिन्दो') और उसकी राजधानी सागल (वर्तमान स्यालकोट) को बतलाया गया है । हम जानते हैं कि दूसरी शताब्दी ईसवी पूर्व भारत का उत्तर-पच्छिमी भाग ग्रीक शासकों के हाथ में चला गया था। ग्रीक शासक मेनान्डर या मेनान्ड्रोस ही 'मिलिन्द पञ्ह' का 'मिलिन्द' है, यह इतिहासवेत्ताओं का निश्चित मत है। किन्तु इस मनान्डोस के शासन-काल की निश्चित तिथि क्या है, इसके विषय में अभी एक मत नहीं हो सका है। स्मिथ के अनुसार १५५ ई० पूर्व मेनान्डर ने भारत पर आक्रमण किया।२ राय चौधरी तथा बार्नेट के मतानुसार मेनान्डर का
१. अठ्ठसालिनी, पृष्ठ ११२, ११४, ११९, १२०, १२२, १४२ (पालि टैक्स्ट सोसायटी का संस्करण) में बुद्धघोष ने 'आयुष्मान् नागसेन' (आयस्मा नागसेन) 'नागसेन स्थविर' (नागसेन थेर) 'आयुष्मान नागसेन स्थविर' (आयस्मा नागसेन थेर) आदि कह कर मिलिन्द-पञ्ह के लेखक को.
स्मरण किया है। २. अर्ली हिस्ट्री ऑव इंडिया, पृष्ठ २२७, २३९, २५८ ३. पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑव एन्शियन्ट इंडिया, १९२३, पृष्ठ २०४ ४. कलकत्ता रिव्यू, १९२४, पृष्ठ २५०