________________
( ४५१ ) (८) चित्त-यमक-चित्त-संबंधी प्रश्नोत्तर । (९) धम्म-यमक-धर्मों संबंधी प्रश्नोत्तर । (१०) इन्द्रिय-यमक-२२इन्द्रियाँ ।
प्रत्येक अध्याय की विषय-प्रतिपादन शैली प्रायः समान है । प्रायः प्रत्येक अध्याय तीन भागों में विभक्त है (१) पञत्ति-वार (शब्द-प्रज्ञापन-विभाग) (२) पवत्तिवार (प्रक्रिया-विभाग) और (३)परिज्ञा-वार (अन्तर्ज्ञान-विभाग)। प्रथम भाग के भी दो उपविभाग, (अ) 'उद्देस-वार (प्रश्न-कथन) और निद्देस-वार (व्याख्याखण्ड) । 'उद्देसवार' में प्रश्नों का कथन जोड़े के रूप में किया गया है, यथा क्या सभी रूप को रूप-स्कन्ध कहा जा सकता है ? क्या सभी रूप-स्कन्ध को स्य कहा जा सकता है ? आदि । 'निद्देस-वार' में इसकी व्याख्या की गई है। द्वितीय मुख्य भाग ‘पवत्ति-वार' के तीन भाग हैं, यथा (अ) उप्पाद-वार (उत्पत्तिविभाग) (अ) निरोध-वार (विनाश-विभाग) और उप्पाद-निरोध-वार (उत्पत्ति और विनाश संबंधी विभाग) 'उप्पाद-विभाग' में यह दिखाया गया है कि भिन्न भिन्न धर्मो की किस प्रकार उत्पत्ति होती है ? प्रश्नों का ढंग तो वही जुड़वाँ नमूने का है, यथा 'क्या वेदना-स्कन्ध उसको भी उत्पन्न होता है जिसको रूप-स्कन्ध उत्पन्न होता है ? क्या रूप-स्कन्ध उसको भी उत्पन्न होता है जिसको वेदना-स्कन्ध उत्पन्न होता है ?' 'क्या वेदना-स्कन्ध उस जीवन-भूमि में भी उत्पन्न होता है जिसमें रूप-स्कन्ध उत्पन्न होता है ? क्या रूप स्कन्ध उस जीवन-भूमि में भी उत्पन्न होता है जिसमें वेदना-स्कन्ध उत्पन्न होता है ? आदि, आदि । 'निरोध-वार' में इसी प्रकार धर्मों के विनाश या अस्तंगमन संबंधी प्रश्न किये गये हैं, यथा 'क्या वेदना स्कन्ध का भी उसके अन्दर निरोध हो जाता है जिसके अन्दर रूप-स्कन्ध का निरोध हो जाता है ? क्या रूप-स्कन्ध का भी उसके अन्दर निरोध हो जाता है जिसके अन्दर वेदना-स्कन्ध का निरोध हो जाता है ?' 'क्या वेदना-स्कन्ध उस जीवन-भूमि में भी निरुद्ध हो जाता है जिस जीवन-भूमि में रूप-स्कन्ध निरुद्ध हो जाता है ? क्या रूप-स्कन्ध उस जीवन-भूमि में भी निरुद्ध हो जाता है जिस जीवन-भूमि में वेदना-स्कन्ध निरुद्ध हो जाता है ?' आदि, आदि। 'उप्पाद-निरोध-वार' में इस क्रम को उल्टा कर दिया गया है। उसके प्रश्न इस प्रकार के हैं--'क्या वेदना-स्कन्ध उसके अन्दर निरुद्ध हो जाता है, जिसके अन्दर रूप-स्कन्ध उत्पन्न होता है ? क्या रूप-स्कन्ध उसके अन्दर निरुद्ध हो जाता है, जिसके अन्दर वेदना-स्कन्ध उत्पन्न होता है' ? 'क्या वेदना-स्कन्ध उस जीवन